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‘क्या करें... खिचड़ी खाने तक का चावल अब नहीं बचा है’

-न्यूजलॉन्ड्री, ‘खाना हम लोगों को भी नहीं मिल रहा है. हम लोग गुजरात में फंसे हुए हैं. अब तो खिचड़ी भी खाने तक का चावल नहीं बचा है. पैसे भी नहीं हैं. समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें?’’ फोन पर यह बात कहकर गुजरात में फंसे बिहार के सीतामढ़ी जिला के रहने वाले राजेश राय यादव सुबकने लगते हैं. राजेश राय अहमदाबाद से 30 किलोमीटर दूर बाबला जीआईडीसी में फंसे...

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कोरोना वायरस की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था ख़राब हो रही है?

-बीबीसी, भारत की राजधानी दिल्ली में रह रहे हज़ारों ग़रीबों में से मोहम्मद आलम एक हैं. वो सरकार की ओर से मिलने वाले राशन के लिए लगने वाली कतार में खड़े हैं. अपने बच्चे को गोद में लिए मोहम्मद आलम सरकारी दाल-चावल मिलने के इंतज़ार में हैं. जिस फ़ैक्ट्री में वो दैनिक मज़दूरी करते थे वो बंद हो गई है और उनकी आमदनी का ज़रिया भी ठप हो गया है. आने वाले...

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लॉकडाउन : मिलों में प्रोसेसिंग बंद होने से दालों के साथ पशुचारे के दाम बढ़े

-आउटलुक, देशभर में 21 दिन के लॉकडाउन के कारण दाल मिलों में प्रोसेसिंग भी नाममात्र की ही हो रही है, जिस कारण दालों की कीमतों में कीमतों में तेजी आई ही है, साथ पशुचारा छिल्का, खांडा और चोकर के दाम भी 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गए हैं। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार इलाहाबाद में सोमवार को उड़द दाल के खुदरा दाम 120 रुपये, मूंग दाल के 100 रुपये,...

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पीएम-किसान योजना की किस्त अप्रैल में देना एक सामान्य प्रक्रिया

-आउटलुक, कोरोना वायरस के कारण देशभर में लॉकडाउन के समय में केंद्र सरकार किसानों की मदद का दावा कर रही है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 8.69 लाख किसानों को 2,000 रुपये की किस्त अप्रैल में देगी, इसमें नया क्या है? पीएम-किसान योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों को सालाना 6,000 रुपये तीन समान किस्तों में 2,000-2,000 रुपये का आवंटन करती है तथा इन किस्तों का आंवटन सरकार...

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किसानों के लिए बने रिस्क मैनेजमेंट अथॉरिटी- अशोक दलवई

-आउटलुक, औद्योगिक और वित्तीय क्षेत्र की तरह भारत के कृषि क्षेत्र में भी सुधारों की जरूरत है। इसमें विदेशी कंपनियों और घरेलू कॉरपोरेट सेक्टर को निवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। 1991 में शुरू हुए आर्थिक सुधारों की बदौलत भारत 2.7 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बना है, लेकिन कृषि क्षेत्र अभी तक इन सुधारों से वंचित है। हमें यह नहीं समझना चाहिए कि कृषि क्षेत्र सुधारों के दबाव को नहीं...

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