सैद्धांतिक रूप से यह बात सही लगती है कि पुराने नोट हटाकर आप नए नोट चलन में लाएं तो अर्थव्यवस्था से कालाधन निकाल सकते हैं लेकिन हिंदुस्तान एक जटिल अर्थव्यवस्था है जहां छोटे कारोबारी हैं, गांव में किसान लोग हैं, उनका क्या होगा. आप अस्पताल जाएं तो कैश लेकर जाते हैं. छोटे स्तर पर नकदी अर्थव्यवस्था ही चलती है. उनको बड़ी असुविधा हो जाएगी. बड़े उद्योगों के पास तो सारी सुविधाएं...
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कालेधन पर मोदी का बम-- अनुपम त्रिवेदी
कालेधन पर किये गये वादों को लेकर किरकिरी झेल रही मोदी सरकार ने 8-9 नवंबर की रात ऐसी ‘सर्जिकल स्ट्राइक' की, कि पूरा देश हतप्रभ रह गया. एक झटके में सरकार ने कालेधन, भ्रष्टाचार, जाली नोट और आतंकवाद को जबरदस्त चोट पहुंचायी. सरकार के इस कदम की हर ओर तारीफ हो रही है. हालांकि विरोध करनेवाले भी कम नहीं है. पर हतप्रभ सभी हैं. सोच रहे हैं कि सरकार...
More »विकास भी चाहिए और रोजगार भी-- एन के सिंह
पिछला एक वर्ष भारत के लिए उथल-पुथल भरा रहा है। अपनी संप्रभुता, सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ राष्ट्रवाद की आक्रामक अभिव्यक्तियों से उसे जूझना पड़ा है। वहीं, इस क्षेत्र की भू-राजनीति अब भी अनिश्चित और अस्थिर बनी हुई है। चीन की विकास दर घट रही है, लिहाजा अपने आर्थिक रसूख को कायम रखने के लिए वह नए-नए तरीके अपना रहा है। दक्षिण चीन सागर विवाद पर ट्रिब्यूनल के फैसले को...
More »आंकड़ों से बाहर अलक्षित स्त्री-श्रम-- सुजाता
पुरानी बॉलीवुड फिल्मों में मां के किरदार को याद करते हुए अक्सर एक चेहरा निरूपा राय जैसी मां का सामने आता है, जो विधवा है, दुखी है, लेकिन स्वाभिमानी है. पति के न रहने पर वह दिन-रात दूसरों के कपड़े सिल कर अपने बच्चों को बड़ा करती है. अचानक यह एहसास होता है कि दुनिया का सारा कारोबार पुरुष के श्रम पर चलता है और स्त्री इसमें केवल मर्द के...
More »सहायता योजनाओं की जानकारी से दूर छोट-मंझोले उद्योग - नई रिपोर्ट
‘मछरी जल बीच मरत पियासी' ! इस उलटबांसी का अर्थ समझना हो तो गरीबी और बेरोजगारी दूर करने के लिहाज से महत्वूर्ण माने जाने वाले सूक्ष्म, छोटे और मंझोले उद्यमों की हालत पर गौर कीजिए! हाल की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि छोटे, मंझोले और सूक्ष्म उद्यमों के विकास-विस्तार और सुधार के लिए सरकार ने 200 से ज्यादा सहायता योजनाएं चला रखी हैं लेकिन सूक्ष्म, छोटे, और मंझोले आकार के उद्यम (एमएसएमई) इनका...
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