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साहित्य में विद्धता और रसिकता को अलग करके देखने का पूर्वाग्रह व्यापक है

-सत्याग्रह, विद्वत्ता और रसिकता साहित्य में, साहित्य की आलोचना और अध्यापन में विद्वत्ता को अक्सर सूखी और रसिकता को आर्द्र मानने का पूर्वाग्रह व्यापक है. पर ऐसे मुक़ाम, सौभाग्य से हमारे यहां रहे हैं जब विद्वत्ता और रसिकता किसी एक ही व्यक्ति में, लगभग आवयविक रूप से संलग्न, प्रगट हुए हैं. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल आधुनिक आलोचना के परिसर में सबसे पहले हैं. वे अधीत (शिक्षित) विद्वान थे और गहरे रसिक भी. दशकों...

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स्वदेशी कोरोना वैक्सीन बनाने के कितने क़रीब पहुंचा भारत

-बीबीसी,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को देश के तीन वैक्सीन विकास केंद्रों का दौरा करने वाले हैं. इस दौरान उनका अहमदाबाद, पुणे और हैदराबाद जाने का कार्यक्रम है. प्रधानमंत्री अहमदाबाद में जाइडस बायोटैक पार्क, पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और हैदराबाद में भारत बायोटेक का दौरा करेंगे. इस दौरान पीएम मोदी वैक्सीन की प्रगति और बड़े पैमानी पर इसके उत्पादन की तैयारियों का जायजा लेंगे. पूरी दुनिया की तरह भारत में भी कोरोना...

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कुछ लोगों का कोरोना वायरस से दोबारा संक्रमित होना हमारे लिए कितनी चिंता की बात होनी चाहिए?

-सत्याग्रह, अगस्त और सितंबर में देश में कोरोना वायरस से दोबारा संक्रमित होने के तीन मामले दर्ज किए गए हैं. बीते महीने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने मीडिया को इसकी जानकारी देते हुए बताया था कि दोबारा कोरोना संक्रमण (कोविड रिइन्फेक्शन) का एक मामला अहमदाबाद में और दो मुंबई में पाए गए हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि आईसीएमआर ने देश में...

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आंध्र प्रदेश के डॉक्टर ने सुनाई कोविड स्टाफ के साथ राज्य के विश्वासघात की कहानी

-कारवां, इस मई में जब सैन्य हैलीकॉप्टर कोविड-19 अस्पतालों पर फूल बरसा रहे थे तब मैं अपने परिवार के साथ आंध्र प्रदेश के अनंतपुर शहर में था. यह महामारी की वह घटना थी जिसमें सरकार के साथ-साथ नागरिकों ने भी स्वास्थ्य कर्मियों को वीरों और अपने कर्तव्य के प्रति बलिदान होने वाले "योद्धाओं" के रूप में माना. जब तमाम न्यूज चैनल स्वास्थ्य कर्मियों को सम्मानित करने के सरकार के काम की सराहना...

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कब मिलेगी प्रवासी मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा?

-न्यूजक्लिक, वैसे तो अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत प्रवासी मजदूरों के कल्याण के संरक्षण को लेकर कई कानून मौजूद हैं, लेकिन वे शायद ही कभी अमल में लाये जाते हैं। एक आदिवासी प्रवासी महिला की मौत ने जो कि भिवंडी के नजदीक धान के खेतों में काम करती थी, की मौत ने प्रवासी मजदूरों की सामजिक सुरक्षा की जरूरत को एक बार फिर से रेखांकित किया है। चालीस वर्षीया चन्द्राबाई थालेकर, जिनके तीन...

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