जशपुरनगर (निप्र) । आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में शिक्षा के लिए बुनियादी सुविधा जुटाने के सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे है। प्रशासन के लाख दावे के बाद भी आज भी कई हो आदिवासी बाहुल्य गांवों में लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। आज भी कई गांवों में पुल न होने को कारण यहां के बच्चों को नदी पार कर स्कूल जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति नगर पंचायत...
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अवकाश के दिन भी खटखटा सकते हैं कोर्ट का दरवाजा, मिलेगा न्याय
पीयूष बाजपेयी, जबलपुर। आमतौर पर सभी को ये मालूम है कि अवकाश वाले दिन हाईकोर्ट बंद रहता है, लेकिन न्याय अवकाश वाले दिन भी किए जाते हैं। यदि आप चाहें तो अवकाश के दिन भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर न्याय पा सकते हैं। ताजा उदाहरण तहसील भवन को तोड़े जाने से जुड़ा है। सुबह 11 बजे तहसीली भवन का एक हिस्से को तोड़े जाने की कार्रवाई बीच में रोकना पड़ गई।...
More »महिलाएं सीधे 'मुख्यमंत्री' से करवा रहीं बस्ती के काम
इंदौर(मध्यप्रदेश)। बस्ती के कोने से पानी ढोकर लाना, दूर कचरा फेकने जाना वैसे ही आसान नहीं होता और उस पर मनचलों की निगाहें। हर सरकारी प्लेटफार्म पर ढेरों शिकायतें करके देखीं, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। परेशान होकर महिलाओं ने सरकारी सिस्टम से काम करवाने की नई तरकीब निकाली। अलग-अलग बस्तियों में महिलाओं ने एकजुट होकर सीधे मुख्यमंत्री से समस्या का समाधान करवाने का अभियान शुरू किया। एक समस्या के लिए...
More »गर्म हवाओं के खतरे से अब तो चेत जाएं - मिहिर आर. भट्ट
दुनिया के इतिहास में यह पांचवीं सबसे जानलेवा लू है, जिसका सामना हम इन दिनों कर रहे हैं। 2200 से ज्यादा लोगों की अब तक यह जान ले चुकी है। क्या हमें और मौतों का इंतजार है, जिसके बाद ही हम लू के खतरे का सामना करने के लिए कोई राष्ट्रीय नीति बनाएंगे? ध्यान रहे कि पिछले कुछ दिनों में गर्म हवा के थपेड़ों से जितने लोगों की मौतें हुई...
More »कोरबा : 'रोशनी' तिल-तिल समा रही अंधेरे के आगोश में
कोरबा (निप्र)। गर्भ में पल रही बेटी को बचाने देश भर में भले ही अभियान चलाया जा रहा हो, पर इस दुनिया में आ चुकी 5 साल की बेटी को बचाने कोई सुध नहीं ले रहा। रोजी मजदूरी वाले कृष्णा यादव ने बड़े प्यार से अपनी बेटी का नाम रोशनी रखा था, पर उजाला होने से पहले ही वह अंधेरे की आगोश में समाने लगी है। उसके दोनों किडनी एक...
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