आज विश्व जल दिवस है। हर साल यह दिन 22 मार्च को स्वच्छ पानी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। इस बार जल दिवस की विषय-वस्तु है, पेय जल की गुणवत्ता। पानी के महत्व का अहसास प्यास लगने पर ही होता है। पानी का कोई विकल्प नहीं है। इसकी एक-एक बूंद अमृत है। विश्वास करें, अगर अमृत है, तो यही है। अत:...
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किसानों को उन्नत खेती के गुर सिखाये
लखनऊ, 18 मार्च: इफको द्वारा मोहनलालगंज के तमोरिया गांव में फसल विचार एवं ग्राम उत्थान विषयक संगोष्ठी आयोजित हुई। इसमें गांव वालों को उन्नत खेती के बारे में बताया गया और खेतों में प्रदर्शन कर दिखाया गया। किसानों को संतुलित उर्वरक प्रयोग के लिए प्रेरित किया गया। इस दौरान किसानों को उन्नत कृषि यंत्र, महिलाओं को सिलाई मशीन व टार्च आदि वितरित किया गया। संगोष्ठी में मृदा वैज्ञानिक डा. केएन तिवारी ने भूमि की कम...
More »पशुओं की संख्या के आधार पर जैविक गांवों का चयन
पटना कृषि मंत्री रेणु कुमारी कुशवाहा ने जिला कृषि पदाधिकारियों को 18 जनवरी तक चयनित जैविक गांवों की सूची भेजने का निर्देश दिया है। जैविक गांवों के चयन का आधार पशुओं की संख्या होगी। इसका चयन जिला कृषि पदाधिकारी, आत्मा के परियोजना निदेशक व पशुपालन पदाधिकारी संयुक्त रूप से करेंगे। जैविक गांवों के चयन सम्बन्धित संचिका कृषि विभाग के मार्गदर्शन के लिए लम्बित थी। कृषि विभाग द्वारा जारी आदेश के तहत ऐसे गांवों का ही चयन...
More »बीटी बैंगनः लड़ाई अब अंतिम दौर में
देश में बीटी बैंगन उगाने की अनुमति को लेकर बहस अब तेज हो गई है। बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसांटो और उसकी भारतीय साझेदार मायको इसकी तरफदारी कर रही हैं। तो स्वयंसेवी संस्थाएं व स्वतंत्र वैज्ञानिक इसका विरोध। दावों और विरोध का आधार क्या है? वैज्ञानिक सबूत क्या हैं? ऐसे में बीटी कॉटन का पिछले आठ साल का प्रदर्शन ही क्या बीटी बैंगन को उगाने की अनुमति का आधार हो सकता है? गुजरात: बीटी कॉटन से छाई खुशहाली बीटी...
More »इस सूखे में संभावना
इस साल के सूखे ने एक बार फिर ध्यान दिलाया है कि देश के जिन इलाकों में सिंचाई के साधनों के टोटे हैं वहां चावल और गेंहूं जैसे पेट भर पानी पीकर लहलहानी वाली फसलों के बजाय मोटहन मसलन-ज्वार-बाजार,मरुआ-मसुरिया जैसी फसलों को उपजाने की जरुरत है क्योंकि इन फसलों को पानी की कम जरुरत होती है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश की कुल ७० फीसदी कृषि भूमि सिंचाई के लिए...
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