हिमालय आकार में जितना विराट है, अपनी विशेषताओं के कारण उतना ही अद्भुत भी। कल्पना करें कि अगर हिमालय न होता तो दुनिया और खासकर एशिया का राजनीतिक भूगोल क्या होता? एशिया का ऋतुचक्र क्या होता? किस तरह की जनसांख्यकी होती और किस तरह के शासनतंत्रों में बंधे कितने देश होते? विश्वविजय के जुनून में दुनिया के आक्रांता भारत को किस कदर रौंदते? न गंगा होती, न सिंधु होती और...
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बिहार : बाढ़ पीड़ितों के खाते में भेजे गये 629 करोड़ 2 लाख 44 हजार रुपये
पटना : बिहार में बाढ़ की स्थिति में सुधार होना जारी है. राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाके से किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं आयी. आपदा प्रबंधन विभाग की एक विज्ञप्ति में कहा गया कि पानी घटने से कई जगहों पर लोग घर लौटने लगे हैं. बाढ़ प्रभावितों के लिए बनाये गये 8 राहत शिविरों में अभी भी 2887 लोग हैं. बिहार में इस साल बाढ़ से 514...
More »पुनर्वास में अहम भूमिका निभा रहीं आधुनिक संचार सेवाएं
दुनियाभर में अनेक कारणों से पिछले वर्ष लगभग 6.56 करोड़ लोगों को जबरन अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा. दुर्भाग्यवश यह संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्ष 2000 से 2016 के बीच दुनियाभर में करीब 3.5 अरब लोग प्राकृतिक आपदाओं और मानव जनित त्रासदियों की चपेट में आये थे. विस्थापितों की जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने और वांछित आपदाओं से कारगर तरीके से निपटने के लिए स्थायी समाधान खोजने...
More »अजीब फरमान, मुआवजा चाहिए तो बतौर सबूत लाओ जानवरों के कंकाल
अहमदाबाद। मुआवजे की राशि लेने के लिए किसी जरूरतमंद को क्या-क्या नहीं करना पड़ता। इसकी बानगी गुजरात के बनासकांठा में देखने को मिली है। जहां अफसरों ने ऐसा फरमान जारी किया है कि मुआवजा लेने वाले पशुपालक जानवरों के कंकाल लाने में जुट गए हैं। चाहिए मुआवजा तो लाओ पशुओं के कंकाल - एक महीने पहले बनासकांठा में आई भीषण बाढ़ की वजह से जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ था। खासतौर पर...
More »बिहारः बाढ़ से पहले गांव था सहरसा में, अब सुपौल में
वर्ष 2008 के बाद इस साल फिर कोसी नदी की बाढ़ ने भारी तबाही मचायी. उत्तर बिहार के सुपौल जिले में लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. इनमें सबसे मुश्किल जिंदगी है कोसी तटबंधों के बीच बसर करने वाले उन लोगों की, जिन्हें बाढ़ के समय ऊँची जगहों पर शरण लेनी पड़ती है और हर दूसरे-तीसरे साल नयी जगह बसना पड़ता है. ये लोग पानी उतरने का इंतजार करते हैं और...
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