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जहां यह जीत अतीत से जुड़ती है- महेश रंगराजन

साल 1971 के बाद पहली बार कोई प्रधानमंत्री न सिर्फ अपने दम पर दूसरी बार सत्ता में लौटा है, बल्कि बहुमत में भी उसने इजाफा किया है। भारतीय जनता पार्टी इस बार 300 के पार जाकर ठहरी है, जबकि पिछले चुनाव में उसे 282 सीटें मिली थीं। इस एकतरफा जीत का संदेश किसी एक पार्टी या सत्तारूढ़ गठबंधन की विजय तक सीमित नहीं है। यह दरअसल राजनीतिक नेतृत्व के रूप,...

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जाति के समीकरण का टूटना- मनीषा प्रियम

गुरुवार को आए चुनावी नतीजे भारतीय लोकतंत्र के लिए काफी अहम हैं। नरेंद्र मोदी, भाजपा और उनका राष्ट्रवाद अब केंद्र में एकछत्र शासन कर सकने की स्थिति में हैं। कांग्रेसवाद और क्षेत्रवाद, दोनों का एक साथ पतन हुआ है। बेशक कभी इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के लिए कहा जाता था कि वह ‘टीना' फैक्टर यानी ‘देअर इज नो अल्टरनेटिव टु इंदिरा गांधी' के कारण बार-बार जीतकर आती है,...

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नोटबंदी के दौरान लाई गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के पैसे का क्या हुआ, सरकार को नहीं पता

नई दिल्ली: सोचिए. अगर भारत में गरीब न होते तो क्या होता? कुछ होता या न होता लेकिन इतना तो तय था कि हमारी राजनीति काफी नीरस हो जाती. ये गरीब ही हैं, जिनकी वजह से भारत की राजनीति इतनी दिलचस्प बनी हुई है. चाहे वो इंदिरा गांधी का गरीबी हटाओ का नारा हो या मनमोहन सिंह का मनरेगा हो या फिर नरेंद्र मोदी द्वारा शुरु की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण...

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वनबंधु कल्याण योजना: 100 करोड़ का बजट घटा कर एक करोड़ किया गया, ख़र्च नहीं हो रही राशि

नई दिल्ली: तारीख पे तारीख. ये अकेला डायलॉग भारतीय न्यायिक व्यवस्था की कहानी बता देता है. ठीक इसी तरह का एक शब्द भारतीय शासन व्यवस्था में काफी प्रचलित है. इस शब्द का नाम है ‘योजना'. सरकारें सोचती हैं कि योजना बना दो, विकास हो जाएगा. योजनाएं बनती हैं, पैसा आवंटित होता है और फिर उसके बाद योजनाओं को स्थानीय अधिकारियों के भरोसे क्रियान्वयन के लिए छोड़ दिया जाता है. पिछले 70 सालों...

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नारों के हिंडोले और हमारी हकीकत-- शशिशेखर

अपनी 72 साला आजादी में भारत ने कुलजमा 16 आम चुनाव देखे हैं। इसके बावजूद सवाल कायम है कि हमारा लोकतंत्र सही दिशा में बढ़ रहा है या नहीं? क्या वजह है कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र अपने विशाल आकार को अभी वांछित प्रकार से व्यवस्थित नहीं कर सका है? बताने की जरूरत नहीं कि आजादी के बाद पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ था। उस समय हिन्दुस्तान का...

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