पिछले हफ्ते जब सुप्रीम कोर्ट में ‘राइट टू प्राइवसी' यानी निजता के अधिकार पर सुनवाई चल रही थी, तब सरकारी वकील केके वेणुगोपाल ने पीठ पर बैठे नौ जजों से कहा कि ‘जीवन का अधिकार', ‘निजता के अधिकार' से ऊपर है, और चूंकि आधार जीवन के अधिकार को ‘रीयलाइज' करने के लिए जरूरी है, इसलिए आधार प्रोजेक्ट को चलने देना चाहिए, बावजूद इसके कि शायद कहीं और कभी-कभी उससे निजता...
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क्या ‘मिड डे मील’ शिक्षा में घुन है?-- मणीन्द्र ठाकुर
ग्रामीण विद्यालयों में शिक्षा की हालत कैसी है? यदि आप इस सवाल को लेकर नीतिकारों के पास जायेंगे, तो लगेगा कि अब भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता है. क्योंकि बिहार के गांवों में भी लगभग सौ फीसदी बच्चे विद्यालय जाने लगे हैं. लेकिन, धरातल पर कहानी कुछ और है. पिछले दिनों किसी गांव के एक विद्यालय में जाने का मौका मिला, जहां साठ-सत्तर के दशक तक...
More »कारोबार बनाम आहार-- रमेश कुमार दूबे
वर्ष 2008 की विश्वव्यापी मंदी के बाद शुरू हुई खेती की जमीन के अधिग्रहण की प्रकिया भले ही अब मंद पड़ गई हो लेकिन वैश्विक खाद्य तंत्र पर कब्जा जमाने की प्रवृत्ति में कोई कमी नहीं आई है। छोटी जोतों और स्थानीय खाद्य बाजार की जगह वैश्विक खाद्य आपूर्ति तंत्र स्थापित करने की जो प्रक्रिया दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यूरोप-अमेरिका में शुरू हुई थी वह अब तीसरी दुनिया को अपनी...
More »हरियाली से कुपोषण मिटाने की मुहिम--- बाबा मायाराम
मध्य प्रदेश के बैतूल और हरदा जिले में पिछले कुछ सालों से आदिवासी हरियाली अभियान चला रहे हैं। उनका नारा है- हरियाली लाएंगे, भुखमरी मिटाएंगे।इस मुहिम का उद्देश्य है, पहला तो यह कि आदिवासियों को कुपोषण से निजात मिल सके, उनकी आमदनी बढ़ सके और दूसरा, जंगलों को फिर से हरा-भरा बनाया जा सके, पर्यावरण सुधारा जा सके और जैव-विविधता का संवर्धन और संरक्षण किया जा सके। इससे मिट्टी...
More »स्वतंत्रता पर हमला है आधार-- अंकिता अग्रवाल
साल 2009 में जब आधार की शुरुआत हुई थी, तो जनता को बताया गया था कि यह भारत के निवासियों को एक पहचान देने की पहल है. यह भी कहा गया था कि आधार बिलकुल स्वैच्छिक है. प्रचार-प्रसार ऐसा हुआ कि लोगों को लगने लगा कि आधार संख्या पाकर वे कई सुविधाओं के पात्र बन जायेंगे. लेकिन, पिछले आठ वर्षों ने इन दावों के खोखलेपन को उजागर कर दिया है. एक...
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