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कृषि जोतों के आकार में कमी चिन्ता का सबब: नई कृषि जनगणना

खेती-किसानी के मोर्चे से एक बुरी खबर आयी है. नयी कृषि जनगणना के आंकड़ों का संकेत है देश में कृषि जोतों का औसत आकार लगातार कम हो रहा है.(आंकड़ों के लिए देखें नीचे दी गई लिंक)   साल 2010-11 में कृषि जोतों का आकार 1.15 हेक्टेयर(राष्ट्रीय औसत) था जो पांच साल बाद 2015-16 में घटकर 1.08 हेक्टेयर हो गया है. कृषि-जोतों के आकार में कमी लागत और व्यावहारिकता के तकाजे से चिन्ता...

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नासिक: क़र्ज़ के कारण लगाई फांसी, आत्महत्या करने वाले किसानों का आंकड़ा 108 पर पहुंचा

नासिक: महाराष्ट्र के नासिक जिले में एक किसान ने चार लाख रुपये के कर्ज के कारण शनिवार को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. स्थानीय अधिकारियों ने दावा किया कि मौजूदा वर्ष में इस क्षेत्र में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 108 पर पहुंच गई है. तहसीलदार ज्योति देवरे ने बताया कि नीलेश धर्मराज हयालिज (28) ने जिले के मालेगांव इलाके में मौजे-वजीरखेड़े गांव में शनिवार को सुबह करीब नौ...

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पीएमओ ने किसान को वापस भेजा मनी ऑर्डर,जानें क्या था पूरा मामला

नई दिल्‍ली। देश में जैसे ही प्‍याज के दाम ऊपर या नीचे होते हैं, तो राजनीतिक पार्टियों की दिल की धड़कने तेज हो जाती हैं। प्‍याज कई राजनीति पार्टियों को रुला चुकी है। दिल्‍ली में तो प्‍याज की बढ़ती कीमत की वजह से भारतीय जनता पार्टी की सरकार के हाथ से सत्‍ता ही चली गई थी। ऐसे में प्‍याज के मुद्दे पर राज्‍यों से लेकर केंद्र की सरकार भी हमेशा...

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यहां 50 पैसा प्याज और दो रुपये किलो बिका लहसुन

नीमच : मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी सीमांत मंडी नीमच में मंगलवार को प्याज 50 पैसे किलो और लहसुन दो रुपये किलोग्राम थोक के भाव बिका. इतने कम भाव मिलने से फसल उत्पादक किसान या तो फसल वापस ले जा रहे हैं या फिर मंडी में ही छोड़ कर जा रहे हैं. गिरते दामों से किसानों को लागत तो दूर माल को मंडी में लाने तक का किराया-भाड़ा भी नहीं मिल...

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क्रांति जिससे आजादी की राह निकली-- मृदुला मुखर्जी

‘भारत छोड़ो' (क्विट इंडिया) के नारे के साथ 1942 में ‘अगस्त क्रांति' की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन में हर तबके के लोगों ने हिस्सा लिया। किसानों, महिलाओं, छात्रों, नौजवानों के साथ-साथ विभिन्न विचारधारा के लोगों ने इसमें शिरकत की और अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। वह दूसरे विश्व युद्ध का समय था और लोगों के लिए कठिन माहौल था। ब्रिटिश सरकार ने तमाम तरह के सख्त कानून थोप दिए थे...

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