-द प्रिंट, राजद्रोह का कानून, जो औपनिवेशिक काल का एक अवशेष है उसकी आज़ादी के 75 साल बाद आज क्या कोई जरूरत रह गई है? बृहस्पतिवार को यह सवाल भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना ने मोदी सरकार के एटर्नी जनरल से किया. यह सवाल सारगर्भित भी है और रस्मी भी. वैसे, यह मसले का केंद्र बिंदु भी नहीं है, और इसकी वजह है. राजद्रोह का कानून इसलिए भयानक नहीं है...
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आखिरकार मोदी सरकार ने बढ़ाई टीके की कीमत, कोविशील्ड के लिए 215 और कोवैक्सीन के लिए देगी 225 रुपए
-द प्रिंट, कई महीने तक कोविड-19 वैक्सीन्स की 150 रुपए प्रति डोज़ ख़रीद के बाद, मोदी सरकार ने आख़िरकार क़ीमतें बढ़ाने का फैसला किया है. ख़रीद की ताज़ा योजना के अनुसार, सरकार कोविशील्ड के लिए 215 रुपए, और कोवैक्सीन के एक डोज़ के लिए 225 रुपए अदा करेगी. सरकार ने अब 66 करोड़ अतिरिक्त ख़ुराकों का ऑर्डर दिया है, जो अगस्त से दिसंबर के बीच सप्लाई की जाएंगी, और जिनके लिए 14,500...
More »केन-बेतवा लिंक: नए अध्ययन के बिना डेढ़ दशक पुराने आंकड़ों के आधार पर दो राज्यों में हुआ क़रार
-द वायर, किसी भी परियोजना के चलते पर्यावरण एवं जनमानस को नुकसान होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए उस प्रोजेक्ट की उपयोगिता एवं उसके प्रभावों पर स्वतंत्र रूप से गंभीर अध्ययन कराने की मांग की जाती रही है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इससे पड़ने वाले प्रभावों को कम किया जा सके व उससे हुई क्षति की उचित भरपाई हो सके. हालांकि जिस कार्य को करने में विशेषज्ञ महीनों...
More »ओबीसी और दलितों के साथ महज़ सत्ता की साझेदारी उनके आर्थिक उत्थान का विकल्प नहीं है
-द वायर, नरेंद्र मोदी के बड़े स्तर पर कैबिनेट विस्तार के कई सारे मायने निकल कर सामने आते हैं. एक तो ये व्यापक स्तर पर प्रचारित किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने पिछड़ी जातियों एवं हाशिए पर पड़े दलित समुदाय के सदस्यों को मंत्री बनाकर इन वर्गों का खास खयाल रखा है. सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे के अनुसार मोदी के नेतृत्व में भाजपा को पिछड़ी जाति के वोटों का काफी फायदा हुआ है, जो...
More »20 वर्षों के विश्लेषण से हुआ ख़ुलासा, पेट्रोल और डीज़ल के बढ़े दामों से कभी भी इनकी खपत कम नहीं हुई है
-द प्रिंट, मार्च-अप्रैल में विधान सभा चुनावों के बाद से निरंतर वृद्धि के चलते, राष्ट्रीय राजधानी समेत देश के कई हिस्सों में, पेट्रोल के दाम 100 रुपए प्रति लीटर के निशान को पार कर गए. लेकिन, अगर क़ीमतें बढ़ रही हैं तो क्या ईंधन की खपत पर इसका असर नहीं होना चाहिए? वित्त वर्ष 1999-2000 और 2019-20 के बीच, 20 वर्षों के अधिकारिक आंकड़ों पर नज़र डालने पर पता चलता है, कि पेट्रोल...
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