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यूरिया आयात में हुई देरी से देश में पैदा हुआ उपलब्धता का संकट- हरवीर सिंह

केंद्र की एनडीए सरकार ने अगर समय रहते यूरिया आयात का फैसला ले लिया होता तो किसानों को यूरिया उपलब्धता का संकट नहीं झेलना पड़ता। दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है जब देश में किसानों को रबी सीजन में यूरिया की उपलब्धता संकट का सामना करने के साथ ब्लैक में यूरिया खऱीदना पड़ा। बड़ी संख्या में देश के अधिकांश गेहूं उत्पादक किसानों को जरूरत के मुताबिक यूरिया नहीं मिल...

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सरकार ने दी सफाई: देश में नहीं है फर्टि‍लाइजर की कमी, जारी रहेगी सब्‍सि‍डी

नई दिल्‍ली। रबी की लहलहाती फसलों के लिए कई राज्‍यों में किसानों को यूरिया की किल्‍ल्‍त का सामना करना पड़ रहा है। रबी सीजन में किसानों को पर्याप्‍त उर्वरक मुहैया कराने के केंद्र और राज्‍य सरकार के दावों के बावजूद पंजाब, हरियाणा, राजस्‍थान, उत्‍तर प्रदेश सहित देश के कई इलाकों में यूरिया के लिए मारमारी मची हुई है। हालात बेकाबू होते देख यूरिया के मुद्दे पर अब केंद्र सरकार भी...

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50 रु तक बढ़ सकता है गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य

--गेहूं का बढ़ सकता है 50 रु तक न्यूनतम समर्थन मूल्य --केंद्र सरकार गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 50 रुपये बढ़ाकर 1,450 रुपये क्विंटल कर सकती है     --गेहूं का बुआई रकबा बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के इरादे से सरकार यह कदम उठा सकती है     ---अधिकारियों के मुताबिक, सरकार सरसों से लेकर मक्का समेत कई दूसरी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी 4-5 फीसदी बढ़ा सकती है     अधिकारियों ने बताया...

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शुद्ध अनाज चाहिए, तो मध्‍यप्रदेश के मंडला-डिंडौरी चले आइए

जबलपुर। पड़ोसी जिलों के खेतों से निकलने वाली राहर, कोदों-कुटकी, चावल और मक्का में किसी तरह का रसायन नहीं है। यह अनाज पूरी तरह से जैविक उत्पाद हैं। कुछ इस तरह की फसलों की पैदावार करने वाले मंडला और डिण्डौरी जिले देश में आर्गेनिक खेती के मामले में अव्वल बने हुए हैं। जिसके चलते प्रदेश सरकार ने इन जिलों को जैविक खेती का हब बनाने का फैसला लिया है। इसके बाद...

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जनसंख्या के बढ़ते बोझ को भोजन उपलब्ध कराने ऊपरी व शुष्क भूमि की उपयोगिता बढ़ाना है जरूरी

वैज्ञानिकों में भ्रम है कि हम उन्नत तकनीक की बात कर रहे हैं, तो पूर्व की परिस्थिति में ही सिर्फ निचली व मध्यम भूमि की उपयोगिता से काम चल जायेगा. लेकिन नयी परिस्थितियों में ऊपरी भूमि का उपयोग बढ़ाना जरूरी है. वहां ऐसी फसलें लगाने की जरूरत है जो कम पानी में और जल्दी तैयार हो जायें. जैसे मकई, मडुवा व 100 दिनों में तैयार होने वाला धान. मध्यम व निचली...

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