मोदी सरकार ने चार राज्यों के चुनाव के ठीक पहले राजनीतिक जरूरतों का पूरा करनेवाला बजट पेश किया है. इसमें सबसे ज्यादा जोर ग्रामीण क्षेत्र, इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार और सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों पर है. राजकोषीय घाटे को 3.5 प्रतिशत रखने के बावजूद सोशल सेक्टर के लिए धनराशि का इंतजाम किया गया ोहै. अजा-जजा उद्यमियों के लिए प्रोत्साहन कार्यक्रम भी इसका संकेत देते हैं. बजट का संदेश है कि अमीर ज्यादा...
More »SEARCH RESULT
किसानों के मन का बजट-- के सी त्यागी
बजट का इंतजार सबको है। खासकर ग्रामीण और कृषक वर्गों में इसकी बेसब्री ज्यादा है। उनके लिए यह बजट ‘रक्षक' या ‘भक्षक' की भूमिका निभाने वाला होगा, क्योंकि पिछले दो बजट में किसानों के लिए कुछ खास नहीं था। आम चुनाव के दौरान किए गए वादों ने उनमें खासा उत्साह भरा था, लेकिन धरातल अनछुआ रह गया। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा 50 फीसदी लाभकारी मूल्य देने की...
More »बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए ये अहम फैसले
2016 का आम बजट पेश किया हो चुका है। बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए ये अहम फैसले लिए गए हैं। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने युवाओं के कौशल विकास पर काफी ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि सरकार का अगले तीन सालों में कौशल विकास योजना के तहत एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित करना है। शीर्ष शैक्षणिक संस्थाओं के लिए हेफा गठित सरकार ने एक हजार करोड़ रूपये के आरंभिक...
More »आधार कार्ड को सांविधिक मान्यता दिलाने को बनेगा कानूनः जेटली
सरकार ने आधार को सांविधिक दर्जा दिलाने का निर्णय लिया है ताकि यह सुनिश्चित हो कि सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का फायदा सीधा जरूरतमंदों के खाते में पहुंचाने की विधिवत व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को 2016-17 का आम बजट पेश करते हुए कहा, हम कानून पारित करने समेत महत्वपूर्ण सुधार करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आधार मंच को सांविधिक...
More »टैक्स इतना ले लिया, दोगे कितना!-- अनिल रघुराज
आजाद भारत का पहला बजट नवंबर 1947 में पेश किया था. तब से लेकर अब तक के 68 सालों में अगर देश के कोने-कोने तक सड़क, बिजली, पानी व सिंचाई का भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा व स्वास्थ्य जैसा सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं पहुंचा है, तो इसके लिए हम और हमारे बाप-दादा ही दोषी हैं. हम सिर नीचा किये गाय की तरह घास चरते रहे. कभी सिर उठा कर पूछा नहीं कि...
More »