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रोटी इंटरनेट से, पानी शेयर बाज़ार से

-न्यूजलॉन्ड्री, इस सप्ताह अमेरिकी स्टॉक बाज़ार में पानी की संभावित क़ीमतों पर बोली लगने की शुरुआत हो गयी है. यह इतिहास में पहली दफ़ा हो रहा है और इसी के साथ पानी भी सोने-चांदी, तेल, अनाज जैसी चीज़ों की क़तार में आ गया है, जिसकी क़ीमत अब वॉल स्ट्रीट पर तय होगी. दो साल पहले कैलिफ़ोर्निया में बने पानी का दाम तय करने वाले एक सूचकांक- नैसडैक़ वेलेस कैलिफ़ोर्निया वाटर इंडेक्स-...

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आर्टिकल 19: लड़ते-खपते किसान पर क्यों चुप हैं अपने-अपने मोहल्लों के भगवान?

-जनपथ, ऑस्ट्रेलिया में भारत के एक मुकाबले के बाद कप्तान विराट कोहली ड्रेसिंग रूम की तरफ जा रहे होते हैं। दर्शक दीर्घा में बैठी एक महिला जोर से चिल्लाती है- “विराट कोहली तुम कहां हो? किसान एकता जिंदाबाद.. भारतीय किसानों का समर्थन करो.. वर्ना तुम टॉयलेट पेपर से ज्यादा कुछ नहीं..।” इस टिप्पणी को सुनने के बाद किसी की भी अंतरात्मा जाग उठेगी। वह महिला भारतीय मूल की एक सामान्य महिला थी,...

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सोरेन सरकार को एक साल होने वाले हैं, पत्थलगड़ी से जुड़े केस का क्या हुआ?

-लल्लनटॉप, पिछले साल दिसंबर में जब झारखंड में सरकार बदली तो सीएम हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार ने पहली कैबिनेट मीटिंग में एक बड़ा फैसला लिया. यह फैसला पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़ा था. पहली कैबिनेट में पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े सभी केस वापस लेने का फैसला लिया गया. इस फैसले को एक साल होने वाले हैं लेकिन सरकार ने अब तक केस वापस लेने का अनुरोध कोर्ट को नहीं भेजा...

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किसानों पर एफआईआर, आंदोलनकारियों पर मोदी सरकार की सख्त कार्रवाई

-आउटलुक, कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। किसानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने और महामारी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। गौरतलब है कि किसान 29 नवंबर को लामपुर बॉर्डर से दिल्ली की सीमा में घुस आए थे और सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर बैठ गए थे। वे...

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सरकार को एहसास हो रहा है कि केन-बेतवा जोड़ना एक गलत कदम है, लेकिन अब पीछे नहीं हटा जा सकता

-द प्रिंट, पर्यावरण मंत्रालय के एक एक्सपर्ट ग्रुप ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले एक अहम बांध को पर्यावरणीय मंजूरी देने से मना कर दिया. यह बांध मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले के डिंडौनी में बनाया जाना प्रस्तावित था. इस मनाही का तात्कालिक और तकनीकी कारण यह है कि पर्यावरणीय मंजूरी के लिए उपयोग किए जाने वाला डाटा डेढ़ साल से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए और इसलिए...

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