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जनसंख्या नीति को नई राह जाना होगा-- नवीन चंद्र लोहनी

सर्वोच्च न्यायालय में एक दंपति के अधिकतम दो संतान पैदा करने से जुड़ी जनहित याचिका हो या फिर देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर निकल रही रैलियां, इन सबका एक मतलब तो यह निकलता ही है कि जनसंख्या नीति पर तुरंत कठोर निर्णय लेने का समय आ गया है। भारत में युवा शक्ति, युवा मस्तिष्क और युवा देश होने की बात जब नारों और जयकारों के बीच आती है, तो...

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रेटिंग एजेंसियों का कारोबार-- वरुण गांधी

किसी व्यक्ति, संस्था या देशों की रेटिंग प्राचीन काल से होती आयी है. इतिहासकार हेरोडोटस ने साइरेन के विद्वान कल्लीमकस के साथ मिलकर सात अजूबों की असल सूची बनायी थी, जिसमें अलंकृत भाषा में इनकी खूबियों के बारे में बताया गया था. आधुनिक समय की क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की उत्पत्ति तो हाल की घटना है- 1837 के वित्तीय संकट के बाद एक विडंबना के साथ इनकी शुरुआत हुई. ऐसी...

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किसानों को मिले आर्थिक आजादी-- अजीत रानाडे

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के किसान संगठन, अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा आहूत 10,000 किसानों की एक मौन पदयात्रा ने बीते छह मार्च को नासिक से मुंबई की ओर प्रस्थान किया. उनकी मुख्य मांगें वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत किसानों को भूमि का स्थानांतरण, उनकी फसलों के लिए बेहतर कीमतें तथा ऋणमाफी पर केंद्रित हैं. जैसे-जैसे यह पदयात्रा मुंबई की ओर बढ़ी, इसमें पूरे महाराष्ट्र से दूसरे किसान भी...

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सामाजिक एका का अधूरा एजेंडा - (कै.) आर विक्रम सिंह

हमारे राजनीतिक परिदृश्य में संभावनाओं, नेतृत्व एवं विकल्पों की बहुतायत है। इस बहुतायत से हम भलीभांति परिचित हैं और साथ ही इससे भी अवगत हैं कि हमारे पास धार्मिक नेतृत्व भी है, जो धर्म एवं हमारी परंपराओं के बारे में मार्गदर्शन देता रहता है। इन दोनों के मध्य एक बहुत बड़ा रिक्त क्षेत्र है, जो समाज का है। अपने यहां सामाजिक नेतृत्व का अकाल-सा है। समाज का एकीकरण किसी का...

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ज्ञान की ये कैसी अंधी-महंगी दौड़! - गिरीश्वर मिश्र

भारत में शिक्षा को एक रामबाण औषधि के रूप में हर मर्ज की दवा मान लिया गया और उसके विस्तार की कोशिश शुरू हो गई बिना यह जाने-बूझे कि इसके अनियंत्रित विस्तार के क्या परिणाम होंगे? सामाजिक परिवर्तन की मुहिम शुरू हुई और भारतीय समाज की प्रकृति को देशज दृष्टि से देखे बिना हस्तक्षेप शुरू हो गए। दुर्भाग्य से ये हस्तक्षेप अंग्रेजी उपनिवेश के विस्तार ही साबित हुए हैं। स्मरणीय...

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