किसान नेता शरद जोशी ने ही पहली बार ‘इंडिया' और ‘भारत' का नारा दिया था. यह नारा देकर उन्होंने शहरी भारत व ग्रामीण भारत के अंतर को उजागर किया और इस अंतर को मिटाने की जरूरत को भी रेखांकित किया. सार्वभौम, समाजवादी पंथ-निरपेक्ष जनतांत्रिक गणतंत्र की घोषणा करनेवाले आमुख के बाद हमारे संविधान की शुरुआत जिन शब्दों से होती है, वह है ‘इंडिया जो कि भारत है.' हमारे संविधान निर्माताओं ने...
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130वें पायदान पर!
भारत में धन तो बहुत बढ़ा है, लेकिन इस देश का नागरिक अपनी स्वतंत्रताओं के मामले में कितना आगे बढ़ा है? छह दशक पहले भारतीय अर्थव्यवस्था पौने तीन लाख करोड़ रुपये की थी, जो आज 57 लाख करोड़ रुपये की हो चुकी है. लेकिन, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होते भारत में क्या उन लोगों की जीवन-स्थितियां भी इसी तेजी से बेहतर हुई हैं, जिनकी आंखों से आंसू...
More »धरती पर होगा ऑक्सीजन संकट!
ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहे खतरे और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों ने भविष्य के लिए नये सवाल खड़े कर दिये हैं. इससे बाढ़, सूखा, तूफान और पिघलती बर्फ के अलावा आॅक्सीजन की कमी भी हो सकती है. ‘साइंस डेली' के मुताबिक, ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी आॅफ लीसेस्टर के एप्लाइड मैथेमैटिक्स के प्रोफेसर सरगेइ पेट्रोव्स्की के नेतृत्व में इस संबंध में एक नया शोध किया गया है. उनका कहना है कि उन्होंने ग्लोबल...
More »अपनी तबाही रचते शहर- अनिल पद्मनाभन
भारत उन 163 देशों की सूची में सबसे ऊपर है, जिनके बाशिंदे हर साल सबसे अधिक बाढ़ की मुसीबतें झेलते हैं। हाल के दिनों में चेन्नई, श्रीनगर, मुंबई जैसे शहरों में सैलाब से तबाही का जो मंजर हमने देखा, उसके लिए बहुत हद तक दोषी हमारा गैर-जिम्मेदाराना रवैया और अनियोजित शहरीकरण है। मिन्ट के डिप्टी मैनेजिंग एडिटर अनिल पद्मनाभन का विश्लेषण चेन्नई में आई बाढ़ अब उतार पर है। इस त्रासदी...
More »2017 तक 50 अरब डॉलर का होगा डिब्बाबंद खाद्य बाजार
एक सर्वेक्षण के अनुसार खाने के लिए तैयार (रेडी टु ईट) उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता के बीच देश का डिब्बाबंद खाद्य बाजार 2017 तक 50 अरब डॉलर का हो जाएगा जो फिलहाल 32 अरब डॉलर का है। उद्योग मंडल ऐसोचैम के सर्वेक्षण में कहा गया महानगरों में खाने की आदतों में बड़ा बदलाव हुआ है। हालांकि 79 प्रतिशत परिवार दोहरी आमदनी, जीवन शैली और सुविधाओं में भारी बढ़ोतरी के कारण करीब...
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