शिक्षा, सूचना एवं स्वास्थ्य में सुधार और इस कारण जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के कारण 60 वर्ष से अधिक उम्र के भारतीयों की संख्या 1971-81 के बीच 5.3 फीसदी से बढ़ कर 5.7 फीसदी तथा 1991-2011 के बीच छह फीसदी से बढ़ कर आठ फीसदी हो गयी. लेकिन, देश में वरिष्ठ नागरिकों के लिए समुचित नीतियां नहीं हैं. अर्थव्यवस्था और समाज में उनकी भूमिका को सम्मान देने...
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असमानता की बढ़ती खाई का खतरा--
दुनिया में गरीबी और अन्याय दूर करने के लिए काम करनेवाली संस्था आॅक्सफैम ने क्रेडिट स्विस के आंकड़ों के आधार पर बढ़ती असमानता की जो भयावह तस्वीर खींची है, उसने नवउदारवादी नीतियों की उपयोगिता पर फिर से बहस तेज कर दी है. इस तस्वीर से जहां नवउदारवाद के आलोचक अपनी बात को सही होते हुए पा रहे हैं कि मौजूदा आर्थिक प्रक्रिया के माध्यम से अमीर और अमीर होंगे व...
More »CM नीतीश ने कहा, हवा में बात नहीं करता, लागू करूंगा शराबबंदी
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सूबे में पूर्ण शराबबंदी के अपने वादे पर एक बार फिर कायम होने की बात कही है. नीतीश कुमार ने कहा कि हर हाल में बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करेंगे. विरोधियों के बार-बार तंज कसने की बात पर उन्होंने कहा कि हम हवा में बात नहीं करते, हर हाल में सूबे में शराबबंदी लागू होगी. क्योंकि पीने वालों के हिसाब से...
More »वास्तविक विकास तो त्रिपुरा में हुआ है- सुभाषिनी अली सहगल
पिछले महीनों में कई बार देश के सबसे छोटे और गरीब राज्य त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार के बारे में प्रसार माध्यमों द्वारा प्रशंसा की गई। हाल में उनकी पत्नी पांचाली की सादगी को लेकर भी, जो एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हैं और अब ट्रेड यूनियन में काम कर रही हैं, लेख प्रकाशित हुए हैं। कम्युनिस्ट नेताओं की कड़ी आलोचना अधिक छपती है। यह आलोचना ज्यादातर इस बात को लेकर...
More »किसानों को उचित दाम दीजिए- भरत झुनझुनवाला
किसानों की समस्याओं के प्रति सरकार संवेदनशील दिखती है, पर मात्र संवेदनशीलता से बात नहीं बनती है. पाॅलिसी की दिशा भी सही होनी चाहिए. मात्र उत्पादन बढ़ाने से किसान का उद्धार नहीं होगा. साठ के दशक में पूर्वी उत्तर प्रदेश में खेत परती पड़े रहते थे. सिंचाई रहट और ढेकली से होती थी. आज पूरे क्षेत्र में ट्यूबवेल का जाल बिछ गया है. बैल के स्थान पर ट्रैक्टर से खेती हो...
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