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गंजाम पर बरसा फैलिन का कहर, 2.4 लाख घर क्षतिग्रस्त

छत्रपुर (गंजाम)। चक्रवाती तूफान ‘फैलिन’ का सबसे ज्यादा कहर ओडिशा के तटीय जिले गंजाम पर देखने को मिला। अनुमानित तौर पर कम से कम 3,000 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है। इस प्राकृतिक आपदा में लाखों लोगों की आजीविका छीन गयी और 2.4 लाख घर क्षतिग्रस्त हुए। मछुआरों का भी बहुत नुकसान हुआ है क्योंकि उनके मछली पकड़ने के जाल, नाव और बेड़े क्षतिग्रस्त हो गए। किसानों को भी नुकसान हुआ है...

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सहकारी समितियां सूचना के अधिकार कानून के दायरे में नहीं आतीं : उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि सहकारी समितियां सूचना के अधिकार कानून के दायरे में नहीं आती हैं। न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की खंडपीठ ने सभी सहकारी समितियों को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में लाने संबंधी केरल सरकार के परिपत्र को सही ठहराने वाला उच्च न्यायालय का निर्णय निरस्त करते हुए यह व्यवस्था दी। न्यायाधीशों ने कहा कि इस तरह की...

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एक करोड़ लोगों के घर उजाड़ गया तूफान

गोपालपुर/श्रीकाकुलम/नई दिल्ली। भीषण चक्रवाती तूफान पेलिन ने ओड़िशा और उत्तरी तटीय आंध्र में तबाही तो मचाई लेकिन पर्याप्त एहतियात बरतने के कारण जनहानि नहीं हुई। तूफान से करीब 90 लाख लोग प्रभावित हुए हैं, 2.34 लाख घर क्षतिग्रस्त हो गए जबकि 2400 करोड़ रुपए की धान की फसल बर्बाद हो गई। पेलिन को पिछले 14 साल में आया सबसे भीषण तूफान माना जा रहा है लेकिन 1999 में आए तूफान...

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कार्यकर्ता महाकुंभ के लिए थे हजारों जवान और नवमी पूजन के लिए सिर्फ 60

भोपाल, नई दुनिया ब्यूरो। भाजपा के पिछले महीने हुए कार्यकर्ता महाकुंभ में जहां पांच हजार जवानों का बल तैनात किया गया था, वहीं नवमी पूजन के लिए रतनगढ़ मंदिर पहुंचने वाले करीब पांच लाख श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए मात्र 60 पुलिसकर्मियों को लगाया गया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस और प्रशासन ने रतनगढ़ मंदिर की व्यवस्था को कितनी गंभीरता से लिया। भाजपा के कार्यकर्ता महाकुंभ में...

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कुप्रबंध की संस्कृति- हरिवंश

देश, वाचाल वृत्ति, बौद्धिक विलासिता, पर-उपदेश वगैरह की ‘लचर जीवन संस्कृति’ से नहीं चलता. आज के भारत में सरकार, राजनीति से लेकर समाज स्तर पर यही जीवन संस्कृति है. अमर्त्य सेन जिस ‘आर्ग्यूमेंटेटिव इंडिया’ (बहस में डूबे भारत) की बात करते हैं, उसे जमीन पर देखें-समझें तो बात ज्यादा स्पष्ट और साफ होती है. मूलत: हम बातूनी लोग हैं, बिना कर्म बात-बहस करनेवाले. किसी के बारे में कुछ भी टिप्पणी....

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