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एक पहल जल-जंगल के लिए

शिमला [ब्रह्मानंद देवरानी]। देर आयद, दुरुस्त आयद यह कहावत कोटखाई क्षेत्र के उन लोगों पर चरितार्थ होती है जिन्होंने वनों के अवैध कटान और जल संरक्षण के लिए बीड़ा उठाया है। संभव है कि छोटी सी ही सही, लेकिन इन लोगों ने वनों की अहमियत को समझकर जो पहल की है, निस्संदेह यह कदम जलवायु परिवर्तन के लिए उपयोगी होगी। वनों का अवैध कटान कर उस भूमि पर बागीचा लगाने के लिए बदनाम ऊपरी शिमला...

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संसद होगी ग्रीन

नई दिल्ली। संसद भवन की बेहद खूबसूरत और ऐतिहासिक इमारत को पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ते खतरे से बचाने के लिए प्रकृति अनुकूल यानी ग्रीन स्वरूप प्रदान करने की प्रक्रिया के तहत सौर ऊर्जा से उसे रौशन करने और परिसर में बैटरी चालित वाहन योजना शुरू करने पर विचार हो रहा है। लोकसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार इस ऐतिहासिक इमारत के खूबसूरत वास्तुशिल्प तथा इसके रखरखाव को लेकर बेहद संवेदनशील...

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सरकारी सुस्ती में होम होंगे जनता के पांच खरब

नई दिल्ली। सरकारी योजनाओं पर अमल में सुस्ती के चलते जनता की गाढ़ी कमाई के पांच खरब रुपये बर्बाद होंगे। यह बर्बादी सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित 589 परियोजनाओं के देर से पूरा होने के कारण होगी। योजना क्रियान्वयन एवं सांख्यिकी मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने सोमवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी। ये परियोजनाएं निर्धारित समय पर पूरी होतीं तो इन पर 5,54,114 करोड़ की लागत आनी थी, लेकिन अब...

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कृषि, औषधि व फल आधारित कारखाने लगाएं उद्योगपति

जागरण ब्यूरो, शिमला : मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने उद्योगपतियों से कहा कि हिमाचल में ऐसे उद्योगों की स्थापना को प्राथमिकता दें जो आम आदमी के हित में हों। उन्होंने कहा कि यहां कृषि, औषधि, फल एवं अन्य स्थानीय उत्पादों पर आधारित उद्योग स्थापित करने चाहिए, ताकि प्रदेश के लोगों को उनका लाभ हो। मुख्यमंत्री भारतीय उद्योग संघ के वार्षिक अधिवेशन के अवसर पर 'हिमाचल प्रदेश : ड्राइवर्स ऑफ ग्रॉथ' विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित...

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लड़ाई लड़ेंगे नई राजधानी के किसान

रायपुर. नई राजधानी प्रभावित किसान जमीन की कीमत बढ़ाने की मांग पर अड़ गए हैं। किसान जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए अड़े हुए हैं। उन्हें जमीन के बदले जमीन चाहिए। पिछले नौ सालों से प्रतिबंध झेल रहे किसानों को जमीन की कीमत मात्र छह लाख 58 हजार (असिंचित) और सात लाख आठ हजार रुपए (सिंचित)एकड़ की दर से भुगतान किया जा रहा है। सरकार ने मांग नहीं मानी तो किसान बड़ी लड़ाई के लिए...

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