नई दिल्ली. एक 'लोकलुभावन' पहल के तहत खनन मंत्रालय ने प्रस्ताव किया है कि कंपनियों ने जिन लोगों की जमीन खनन के लिए अधिग्रहीत की हैं, उन्हें लाभ का एक निश्चित हिस्सा दिया जाएगा। उधर ग्रामीण विकास मंत्री विलासराव देशमुख ने तो इससे भी आगे बढ़कर मास्टर स्ट्रोक जड़ दिया है। उत्तरप्रदेश के भट्टा परसौल में मायावती सरकार की जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया के विरोध में किसानों के प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र...
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राजद्रोह कानून और एएफ़एसपीए रद्द हों : बिनायक सेन
कल्याणी ( पश्चिम बंगाल ) : मानवाधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन ने आज राजद्रोह कानून और सशस्त्रबल विशेष अधिकार अधिनियम को रद्द करने की मांग की. यहां एक समारोह में सेन ने कहा ‘‘बडी संख्या में मानवाधिकार संगठनों ने राजद्रोह कानून और गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम यूएपीए के खिलाफ़ हाथ मिला लिया है.’’ उन्होंने कहा कि राजद्रोह कानून के खिलाफ़ एक करोड लोगों के हस्ताक्षर मानवाधिकर संगठन ने एकत्र किए हैं और इन्हें...
More »किसे आवाज दें- जयप्रकाश त्रिपाठी(तहलका)
पप्पू जायसवाल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में पड़े हैं. कमर में गोली लगने से गंभीर रूप से घायल यह शख्स अब अपने बच्चों का पेट पालने के लिए शायद ही पहले की तरह मजदूरी कर पाए. जायसवाल की अनपढ़ पत्नी संगीता और उनके रिश्तेदार हर आने-जाने वाले से बस एक ही सवाल करते हैं, 'क्या मजदूर को अपने हक की बात करने का कोई अधिकार नहीं?'...
More »लोकतंत्र का लट्ठ- रेयाज उल हक (तहलका)
भट्टा-पारसौल में जो हुआ और जिस अंदाज में हुआ उससे साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार को असहमति और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार की जरा भी परवाह नहीं. रेयाज उल हक की रिपोर्ट अगर यह लोकतंत्र है तो भट्टा-पारसौल के लोगों ने इसका मतलब देखा और महसूस किया है. देश की संसद से बमुश्किल 70 किलोमीटर दूर बसे 6000 जनों की आबादी वाले इस गांव ने लोकतंत्र को गोलियों के रूप...
More »बनायें व्यावहारिक लोकपाल लेखक पूर्व राज्यपाल हैं - प्रभात कुमार
अन्ना हजारे द्वारा जनलोकपाल बिल के लिए शुरू किया गया आंदोलन बहुत ही सफ़ल रहा. उनके प्रति शहरी मध्य वर्ग का जो आकर्षण है, उसने बखूबी काम किया. लोकतंत्र में नागरिकों को अधिकार है कि वे अपनी समस्याओं के बारे में कहें और अपने जनप्रतिनिधियों से इसके निदान की मांग करें. यदि ये जनप्रतिनिधि उनकी समस्याओं से कोई सरोकार नहीं रखते या फ़िर उसका हल नहीं निकाल सकते, तो उचित ही होगा कि...
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