शिमला। परमेश्वर कहे जाने वाले पंच (प्रधान) और आपकी जमीन का लेखा-जोखा रखने वाले पटवारी भ्रष्टाचार में सबसे आगे हैं। यह खुलासा विजिलेंस विभाग को मिलने वाली शिकायतों के आधार पर हुआ है। विभाग के अनुसार भ्रष्टाचार के संदर्भ में प्रदेश भर से लोगों से मिलने वाली शिकायतों में 50 प्रतिशत शिकायतें पंचायती राज विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ होती हैं। स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो के...
More »SEARCH RESULT
‘वे इतिहास को वल्गराइज कर रहे हैं’
मध्यकालीन भारत पर दुनिया के सबसे बड़े विशेषज्ञों में गिने जाने वाले इरफान हबीब आजकल भारत के जन इतिहास शृंखला पर काम कर रहे हैं. इसके तहत दो दर्जन से अधिक किताबें आ गई हैं. हिन्दी पत्रिका तहलका के रेयाज उल हक के साथ बातचीत में वे बता रहे हैं कि किस तरह इतिहासकारों के लिए वर्तमान में हो रहे बदलाव इतिहास को लेकर उनके नजरिए को भी बदल देते...
More »मुवानी घाटी में होगा सतावर का उत्पादन
पिथौरागढ़। जिले की प्रसिद्ध मुवानी घाटी में सतावर के उत्पादन को बढ़ावा दिया जायेगा। हिमालय अध्ययन केन्द्र और हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान कोसी काश्तकारों को सतावर उत्पादन का प्रशिक्षण देंगे। गुरूवार को मुवानी घाटी में सतावर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में काश्तकारों को सतावर उत्पादन की तकनीक सिखाई गयी। हिमालय अध्ययन केन्द्र के भुवन पंत ने कहा मुवानी घाटी की भौगोलिक परिस्थितियां सतावर उत्पादन के...
More »वैज्ञानिक विरासत को सहेजने का सवाल
नई दिल्ली [प्रवीण प्रभाकर]। 'विज्ञान के सामने दिक्कत नई सूचनाओं, नई समझ को इस्तेमाल करने भर की नहीं है, बल्कि पुरानी सूचनाओं, जानकारियों और समझ को सहेजने की ज्यादा है।' मशहूर भौतिक विज्ञानी और 1965 में नोबेल पुरस्कार विजेता रिचर्ड फेमैन का यह कथन विज्ञान और तकनीक के भविष्य की कम और अतीत की ज्यादा चिंता दिलाती है। सचमुच जिज्ञासु प्रवृत्ति की वजह से इंसान खोज और आविष्कारों को लेकर काफी...
More »मजदूरों की कमी ने खींची चिंता की लकीरें
जागरण संवाददाता, कपूरथला; धान की बिजाई के शुरू होने से पहले मजदूरों की कमी ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है। गौर हो कि राज्य में 10 जून से धान की बिजाई शुरू हो जानी है, लेकिन अभी तक मजदूरों की बेरुखी दस्तक ने किसानों के लिए मुसीबत पैदा कर दी है। देश भर में चल रही मनरेगा मजदूरों की कमी को पूरा करने में विशेष तौर पर आड़े आ...
More »