देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा है. सरकार ने इससे निबटने के उपाय के रूप में अपने खर्चो में कटौती का एलान किया है. इसमें कहा गया है कि अगले एक साल तक केंद्र सरकार कोई नयी नियुक्ति नहीं करेगी. यानी एक तरफ रोजगार छिन रहे हैं, दूसरी ओर रोजगार के नये अवसरों पर भी फिलहाल विराम लग गया है. ।।सेंट्रल डेस्क।। अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं. यह समय...
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खनन से किसका हित, मिल कर सोचें- ।।किशन पटनायक।।
बिक्री लायक पदार्थो को ‘पण्य’(माल) कहा जाता है और उनके संग्रह को ‘संपत्ति’. आधुनिक समाज में संपत्ति को मूल्यों (रुपयों) में आंका जाता है. मैं अगर करोड़पति हूं, तो मेरी संपत्ति का मूल्य करोड़ों रुपयों में है. दुनिया में जितनी भी संपत्ति है, उनके मूल में हैं प्राकृतिक संसाधन. मेहनत, बुद्धि और मशीनों के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों से विभिन्न पण्य वस्तुओं को बनाया जाता है. मशीनें भी खनिज धातु यानी प्राकृतिक...
More »नौकरी देने वाला स्थायी उपाय नहीं है नरेगा: जयराम रमेश
नई दिल्ली। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश का कहना है कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार दिलाने का कोई स्थायी उपाय नहीं है। ‘आईडीएफसी लिमिटेड की भारतीय ग्रामीण विकास रिपोर्ट 2013’ को जारी करते हुए रमेश ने कहा, ‘‘मैं नरेगा को स्थायी रोजगार पैदा करने वाला कार्यक्रम नहीं मानता। यह उन इलाकों में 20 से 25 साल का अवस्थांतरण कार्यक्रम है, जहां रोजगार का और...
More »अब मनरेगा में 150 दिन काम
पटना: मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने कहा है कि सुखाड़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए सरकार मनरेगा में जरूरतमंदों को 100 के बजाय 150 दिन रोजगार देने की तैयारी में जुट गयी है. इसके लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रलय को प्रस्ताव भेजा गया है. इसका मकसद सुखाड़ ग्रस्त जिलों से मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए रोजगार का अवसर उपलब्ध कराना है. अतिरिक्त रोजगार का अवसर उपलब्ध...
More »शिक्षा केंद्र, बुद्धिजीवी और सत्ता- आनंद कुमार
जनसत्ता 25 सितंबर, 2013 : किसी भी लोकतांत्रिक समाज में सरकार और शिक्षा केंद्रों के बीच का संबंध हमेशा एक सृजनशील तनाव से निर्मित होता है। सरकार की तरफ से शायद ही कभी ऐसा प्रयास हो, जिसमें शिक्षा केंद्रों को अधिकतम स्वायत्तता मिलती है, क्योंकि सरकार शिक्षा केंद्रों में चल रहे ज्ञान-मंथन, तथ्य-विश्लेषण और विद्वानों की स्वतंत्र शोध-क्षमता से सशंकित रहती है। सरकार का काम हमेशा कुछ आधा और कुछ पूरा-...
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