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अकाल, भुखमरी इस देश में कई समुदायों की जीवनसाथी है- विनायक सेन से आशीष कुमार अंशु की बातचीत

विनायक सेन को लेकर मीडिया और समाज में दो तरह की छवि है। एक विनायक सेन, जिन्हें हमेशा देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाता है, दूसरे विनायक सेन वे जो आदिवासियों के शुभचिंतक हैं और गरीब समाज के मसीहा हैं। दोनों विचार अतिवादी हैं। इस तरह एक आम भारतीय असमंजस की स्थिति में है कि वह इन दोनों में से किसे सच माने और किसे झूठ! यदि हम मीडिया की नजर...

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छाप छोड़ने की भारी जद्दोजहद

नई दिल्ली. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुआई वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की दूसरी बैठक में महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा एवं सांप्रदायिक हिंसा कानून ही छाए रहे। यूपीए सरकार के पिछले कार्यकाल में नरेगा व सूचना के अधिकार कानून की तर्ज पर सोनिया गांधी की अगुआई वाली सलाहकार परिषद इस बार खाद्य सुरक्षा व सांप्रदायिक हिंसा कानूनों पर अपनी छाप छोड़ने के खातिर इन्हें निर्णायक रूप देने के लिए...

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जो खर्च न हुआ, वह पैसा किस काम का?

नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। जेब में पैसा हो लेकिन खर्च न किया जाए या खर्च हो न पाए तो बताइए वह किस काम का? जाहिर है, किसी काम का नहीं। अल्पसंख्यकों के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम [मल्टीसेक्टोरल डेवलपमेंट प्रोग्राम] के तहत राज्य सरकारों को केंद्र से पर्याप्त पैसा मिला। लेकिन वह इस समुदाय के किसी काम नहीं आया क्योंकि राज्यों ने इस पैसे का 20 फीसदी हिस्सा भी खर्च नहीं...

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महिला आरक्षण बिल पर सर्वदलीय बैठक कल

नई दिल्ली। सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पर बने गतिरोध का कोई समाधान निकालने के लिए सोमवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। विधेयक का मौजूदा स्वरूप में यादव तिकड़ी कड़ा विरोध कर रही है। लोकसभा में सदन के नेता तथा वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस मुद्दे को लेकर सभी दलों की यह बैठक बुलाई है क्योंकि सरकार गतिरोध का जल्द कोई समाधान निकालना चाहती है। विधेयक को राज्यसभा पहले ही पारित...

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न्याय:कितना दूर-कितना पास

  खास बात  • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।*  • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...

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