-इंडिया टूडे, बीसवीं सदी की महामंदी, 1991 के भारतीय आर्थिक संकट और 2008 की ग्लोबल बैंकिंग आपदा का इतिहास हमें कुरेद-कुरेद कर बताता है कि अंतत: वही जीतते हैं जो एक अच्छी आपदा को बर्बाद नहीं करते. संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढि़यों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं. बड़े बदलाव के लिए किसी बड़े संकट का इंतजार था तो मुराद अब पूरी हो गई है. संकट में...
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भारत और इंडिया: 21 दिनों के लॉकडाउन के ऐलान से जो तसवीर उभरी वह देश की गलत प्राथमिकताओं को दर्शाती है
-आउटलुक, “बिना व्यापक योजना के महज चार घंटे की मोहलत पर 21 दिनों के लॉकडाउन के ऐलान से जो तसवीर उभरी वह देश की गलत प्राथमिकताओं को दर्शाती है” यह मानवीय त्रासदी है, जो हमारे प्रशासकों ने देश के गरीब तबके पर थोप दी है। सरकार ने कोरोनावायरस से फैलने वाली बीमारी कोविड-19 की रोकथाम के लिए देश भर में 24 मार्च की आधी रात से 21 दिन का लॉकडाउन किया। उसके...
More »कोरोना वायरस को जड़ से मिटाना संभव नहीं: डॉ एंथोनी फाउची
-बीबीसी, कोरोना वायरस को बिना किसी वैक्सीन या असरदार इलाज के पूरी तरह ख़त्म नहीं किया जा सकता. यह कहना है व्हाइट हाउस के कोरोना वायरस टास्क फोर्स के डॉ. एंथनी फाउची का. सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. फ़ाउची ने कहा, ''कोरोना वायरस फैलने से पहले अमरीका जिस स्थिति में था वहां शायद कभी नहीं पहुंच पाएगा अगर इस महामारी का कोई असरदार इलाज या वैक्सीन नहीं मिलते.'' जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी...
More »पहले कर्फ्यू और अब लॉकडाउन, जम्मू-कश्मीर के सेब, केसर और चेरी किसानों का क्या होगा?
-गांव कनेक्शन, "सेब के पेड़ों के बीच ही बड़ा हुआ हूं। जब से जानने लायक हुआ, तब से यही काम कर रहा हूं। हमारी कई पीढ़ियां इसी में खप गईं। नुकसान तो पिछले साल से ही हो रहा है, क्या करें, कुछ और कर भी तो नहीं सकते। हमारी किस्मत में यही सब लिखा है," जम्मू कश्मीर के जिला कुपवाड़ा में रहने वाले इम्तियाज यारू (55) कहते हैं। लॉकडाउन की वजह...
More »गेहूं की आपूर्ति कम होने से शहरों में आटे की किल्लत
-आउटलुक, देशभर में चल रहे लॉकडाउन के कारण आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति दुरुस्त करने को लेकर सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में अनाज मंडियां बंद होने के कारण शहरों में आटे की किल्लत हो गई है, लेकिन गांवों में ऐसी समस्या नहीं है। कारोबारियों ने बताया कि गांवों में किसानों के पास खुद का गेहूं है और पीडीएस के तहत लोगों को मिलने वाला अनाज भी...
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