खेती की जब बात आती है, तो सभी आकाश की ओर ताकते हैं. अगर माॅनसून का समय और उसकी मात्रा उचित या पर्याप्त नहीं है, तो राजनीति की गति और दिशा दोनों बदल जाती है. बजट से लेकर बाजार तक सब आकाश ही निहारते हैं. कृषि में जोखिम प्रबंध बहुत ही कमजोर है. हरित क्रांति का चाहे जिस तरह से विश्लेषण या आलोचना करें, लेकिन उसने हमारी कृषि को तात्कालिक...
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आंकड़ों में ही कम हो रही महंगाई - अनुराग चतुर्वेदी
बढ़ती महंगाई एक बार फिर चर्चा में है। वरना तो महंगाई का जिक्र चुनावी सभाओं या नीति आयोग जैसी संस्थाओं की गंभीर बैठकों में होता है। अर्थशास्त्री इसे मुद्रास्फीति से जोड़ते हैं तो किसान-दुकानदार 'मुनाफाखोरी" से। महंगाई पर चर्चा क्या सिर्फ आंकड़ों की कलाबाजी है या फिर यह हकीकत से भी जुड़ी है? सरकार का दावा है कि मुद्रास्फीति की दर दो अंकों से गिरकर एक अंक की हो गई...
More »हिमालय का बिगड़ता मिजाज--- ममता सिंह
हिमालय की अनदेखी शुरू से ही हो रही है। बार-बार केंद्र पर निर्भर हिमालयी राज्यों का तंत्र हिमालय की गंभीरता और हिमालय से चल सकने वाली स्थायी जीवन शैली और जीविका को भी भुलाते जा रहे हैं। आयातित परियोजनाओं ने हिमालय में अतिक्रमण, प्रदूषण और आपदा की स्थिति पैदा कर दी है जिसके फलस्वरूप हिमालय टूट रहा है। हिमालय न केवल भारत, बल्कि दक्षिण एशिया के सभी देशों के लिए जल...
More »छोटे व मझोले किसान अभी भी बैंक कर्ज को मोहताज
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। कृषि कर्ज का आंकड़ा भले ही साढ़े आठ लाख करोड़ के लक्ष्य को पार कर गया हो लेकिन बड़ी संख्या में छोटे और मझोले किसान अब भी बैंक से ऋण पाने को मोहताज हैं। छोटे व मझोले किसानों की आबादी वैसे तो कुल किसानों की संख्या में 85 प्रतिशत है लेकिन कर्ज में इनकी हिस्सेदारी मात्र छह प्रतिशत है। इनमें से से बहुत से किसान अब...
More »गांवों की तसवीर बदलने की पहल- अंजनी कुमार सिंह
ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के विकास के बाद केंद्र सरकार रोजगार बढ़ाने के लिए अब ग्रामीण परिवहन योजना के विस्तार की दिशा में काम कर रही है. इसका नाम प्रधानमंत्री ग्रामीण परिवहन योजना है. योजना का मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सुविधा को बेहतर कर रोजगार के नये अवसर पैदा करना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजेंडे में कृषि व ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता देना है. ...
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