हमारे देश की नींव दो लोगों के कंधे पर खड़ी है, इनमें प्रथम जवान हैं दूसरे किसान हैं। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने नारा दिया था- जय जवान, जय किसान। वर्तमान सरकार के पिछले 18 महीने के कार्यकाल में कृषि के क्षेत्र को बहुत ही बेरहमी से कुचला गया है। कृषि भारतीय अर्थव्यस्था की रीढ़ है। न केवल जीडीपी में इसका 16 प्रतिशत का योगदान है, बल्कि लगभग 50...
More »SEARCH RESULT
चेन्नई बनाम बुंदेलखंड: क्या राजनीतिक ताक़त के आधार पर सहायता मिलेगी?-- सुदीप श्रीवास्तव
आज इस समय पूरा देश और दुनिया भी, टीवी और सोशल मीडिया पर चेन्नई बारिश और बाढ़ की तस्वीरों से पटा पड़ा है। देश का ही एक दूसरा हिस्सा उत्तर प्रदेश का बुंदेलखण्ड, लगातार दूसरे साल भयानक सूखे का सामना कर रहा है। सूखा भी इतना भयंकर कि लोगों को खाने के लाले पड़े हुए हैं। पर यहां न तो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के दौरे हो रहे हैं और न ही...
More »कृष्णा का गोदावरी से आज होगा मिलन- मिथिलेश झा
नदियों के तट पर सभ्यताएं तो विकसित होती ही हैं, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था वहां की नदी और उसमें उपलब्ध के उचित प्रबंधन पर ही निर्भर होती है. खासकर भारत जैसे देश में जब मॉनसून दगा दे जाये, तो नदियों और नहरों का पानी ही किसानों का सहारा होता है. प्रकृति ने भारत को विशाल नदियों की नेमत बख्शी है. इसमें बड़ी से छोटी नदियां तक शामिल हैं. कई...
More »अच्छी सेहत से दूर होती आबादी- के सी त्यागी
नीति आयोग ने हाल ही में सार्वजनिक चिकित्सा क्षेत्र के खर्चे में कटौती करने को कहा है। आयोग ने इस क्षेत्र में हो रहे निवेश पर काबू पाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा के तहत लोगों को नि:शुल्क मिल रही दवाइयों व अन्य सेवाओं को नियंत्रित करने की भी अनुशंसा की है। इसके अलावा आयोग स्वास्थ्य के क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेशकों तथा बीमा कंपनियों को मुख्य भूमिका में लाने...
More »आरक्षण की नीति के खतरे - संजय गुप्त
गुजरात में अनुभवहीन युवा नेता हार्दिक पटेल की ओर से अपने समुदाय को गोलबंद कर जिस तरह आरक्षण की मांग की गई और जिससे राज्य के कई इलाकों में जो हिंसा भड़क उठी, उससे आरक्षण का मसला एक बार फिर राजनीतिक बहस के केद्र में आ गया है। आजादी के बाद अनुसूचित जातियों और जनजातियों को सामाजिक-आर्थिक रूप से मुख्यधारा में लाने के लिए उन्हें दस वर्षों के लिए सरकारी...
More »