प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को अपने पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कहा था कि वे योजना आयोग की जगह नयी संस्था बनाना चाहते हैं. इस घोषणा के अनुरूप, 1 जनवरी, 2015 को उन्होंने नीति आयोग बनाने की घोषणा की. इस नयी संस्था से देश को काफी अपेक्षाएं हैं. इसे जहां व्यापार, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा तथा कौशल विकास जैसे मसलों पर ज्ञान के सृजन और...
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बैंकों के फंसे कर्ज पर चुप्पी क्यों- देविन्दर शर्मा
हाल में एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट हैरान करने वाली थी। पिछले तीन वित्त वर्षों के दौरान 29 राष्ट्रीयकृत बैंकों ने 1.14 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को न वसूल हो सकने वाले डूबत खाते में डाल दिया। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, 7.32 लाख करोड़ रुपये का ऋण आश्चर्यजनक रूप से सिर्फ दस कंपनियों को दिए गए था। ये रिपोर्टें ऐसे वक्त में आ रही हैं, जब आर्थिक...
More »रघुराम राजन की टिप्पणी के बाद जीडीपी पर कोहराम
किसी भी देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का निर्धारण एक जटिल अर्थशास्त्रीय प्रक्रिया होती है. इसमें अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र के उपलब्ध आंकड़ों, मुद्रास्फीति तथा आधार वर्ष के आंकड़ों के समायोजन से कुल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तय किये जाते हैं. पिछले साल भारत सरकार ने जीडीपी के आकलन की प्रक्रिया में बड़ा फेरबदल किया, जिसे लेकर उद्योग जगत, अर्थशास्त्रियों और नीति-निर्धारकों में चर्चा चल रही है....
More »अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण सदस्य हैं हमारे बुजुर्ग
शिक्षा, सूचना एवं स्वास्थ्य में सुधार और इस कारण जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के कारण 60 वर्ष से अधिक उम्र के भारतीयों की संख्या 1971-81 के बीच 5.3 फीसदी से बढ़ कर 5.7 फीसदी तथा 1991-2011 के बीच छह फीसदी से बढ़ कर आठ फीसदी हो गयी. लेकिन, देश में वरिष्ठ नागरिकों के लिए समुचित नीतियां नहीं हैं. अर्थव्यवस्था और समाज में उनकी भूमिका को सम्मान देने...
More »असमानता की बढ़ती खाई का खतरा--
दुनिया में गरीबी और अन्याय दूर करने के लिए काम करनेवाली संस्था आॅक्सफैम ने क्रेडिट स्विस के आंकड़ों के आधार पर बढ़ती असमानता की जो भयावह तस्वीर खींची है, उसने नवउदारवादी नीतियों की उपयोगिता पर फिर से बहस तेज कर दी है. इस तस्वीर से जहां नवउदारवाद के आलोचक अपनी बात को सही होते हुए पा रहे हैं कि मौजूदा आर्थिक प्रक्रिया के माध्यम से अमीर और अमीर होंगे व...
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