भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच निर्णायक मुठभेड़ के लिए मंच तैयार हो चुका है और दोनों ही पार्टियां इसके लिए अपनी फौजों को तैयार कर रही हैं। इसकी गूंज संसद में बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू होने पर सदन के भीतर और बाहर दोनों जगह सुनाई देगी, क्योंकि दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियां अस्थिर किसान लॉबी को अपने पक्ष में करने की कोशिशों में जुटी...
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भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार: वास्तविक तस्वीर- अरुण जेटली
सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनरुद्धार संशोधन कानून, 2013 में उचित मुआवजे के अधिकार और पारदर्शिता के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया। आखिरकार इस कानून में संशोधन की क्या जरूरत पड़ी और इन संशोधनों के क्या मायने हैं? इस बात का बार-बार उल्लेख होता रहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 पुराना पड़ चुका है और इसमें संशोधन की जरूरत है। 1894...
More »फिर से भारत उदय- सुनील भारती मित्तल
भारत में उम्मीद की एक ताजा हवा बह रही है। नई सरकार, जिसे देश ने निर्णायक जनादेश दिया, तेजी से देश के विकास एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। पिछले बारह महीनों में घटनाक्रम में जो बदलाव आया है, उसने राष्ट्रीय मानस का निर्माण किया है। जो वैश्विक निवेशक पहले भारत के बारे में सवाल उठा रहे थे, वे अब देश में विकास संभावनाओं में सुधार की बातें कर रहे...
More »बेहतर है सब्जी का उत्पादन- एस एस सिंह
देश में सब्जियों की खेती 90.2 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है, जिसमें कुल उत्पादन 16.21 करोड़ टन (162.18 मिलियन टन) होता है। देश में सब्जी की औसत उत्पादकता 17.36 टन प्रति हेक्टेयर है। सब्जियों के क्षेत्रफल में भारत की हिस्सेदारी विश्व में 12.16 प्रतिशत है, जबकि उत्पादन में 11 फीसदी। वैश्विक सब्जी उत्पादन में भारत का स्थान चीन के बाद दूसरा है। पिछले 15 वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर...
More »लूट का अध्यादेश- के सी त्यागी
बाईस दिसंबर को संसद का सत्र समाप्त होने के तुरंत बाद सरकार द्वारा जारी अध्यादेश से जहां बिल्डर समुदाय और कॉरपोरेट घराने गदगद हैं वहीं दूसरी ओर किसान फिर पुरानी शंकाओं से भयभीत हैं। वित्तमंत्री अरुण जेटली कुशल अधिवक्ता हैं, वे अपनी सरकार द्वारा किए गए इन बदलावों को बड़ी चतुराई से शब्दों का ताना-बाना बुन कर किसानों के हित में बताने का विफल प्रयास कर रहे हैं। पर शायद...
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