सूबे में जमीन की समस्या से नए उद्यमी पस्त हैं। खासकर छोटे एवं नए उद्योगों को मुकाम हासिल करने के लिए मशक्कत करना पर रहा है। बड़े निवेशक से लेकर छोटे उद्यमी तक उद्योग विभाग, निदेशालय और क्षेत्रीय प्राधिकार कार्यालय में जमीन के लिए वर्षो से अर्जी लगाकर चक्कर काटने को मजबूर हैं। रांची औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (रियाडा) में दो दजर्न से ज्यादा उद्यमियों का जमीन के लिए आवेदन एक...
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500 गांवों में पसरा अंधेरा
ईचड़ा ग्रिड के ट्रांसफ़ॉर्मर में आयी खराबी, यूसिल और सोना खदान में काम प्रभावित जमशेदपुर : जादूगोड़ा के ईचड़ा स्थित डीवीसी ग्रिड में लगी 20 एमवी के ट्रांसफ़ॉर्मर में आयी खराबी के कारण बीती रात लगभग आठ बजे से जादूगोड़ा शहरी व ग्रामीण, पोटका, हाता, हल्दीपोखर व कोवाली आदि क्षेत्र के लगभग 500 गांव अंधेरे में डूब गये. सूचना पाने के लगभग 15 घंटे बाद गुरुवार को सुबह लगभग साढे 11 बजे...
More »नलकूप की स्थिति सबसे बदतर
मुजफ्फरपुर, हसं : विधानसभा की कृषि उद्योग विकास समिति की नजर में यहां नलकूप विभाग की स्थिति सबसे बदतर है। इसमें सुधार किए बिना कृषि व उद्योग के विकास की गति तेज नहीं हो सकती है। उक्त बातें समिति के सभापति गुड्डी देवी ने कही। राजकीय अतिथिशाला में आयोजित विभागों की समीक्षा बैठक के बाद वे पत्रकारों से बात कर रही थीं। उन्होंने बताया कि समीक्षा के क्रम में ये बातें...
More »संवरेगा अनुसूचित जनजाति के युवक-युवतियों का भविष्य
भागलपुर, हमारे संवाददाता : केंद्र सरकार के सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग मंत्रालय ने जिले के अनुसूचित जनजाति के युवक-युवतियों का भविष्य संवारने की योजना बनाई है। इसके लिए सूबे में सिर्फ भागलपुर जिले को ही चयनित किया गया है। योजना के तहत अनुसूचित जनजाति के युवक-युवतियों को प्रशिक्षण देकर उन्हें उद्योग स्थापित करने के लिए सस्ते ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराए जाएंगे। इस योजना पर अक्टूबर 2011 से...
More »गोदान : किसान की शोकगाथा--- . गोपाल प्रधान
‘गोदान’ के प्रकाशन के 75 साल पूरे हो गए हैं लेकिन भारत का देहाती जीवन आज भी लगभग उन्हीं समस्याओं और चुनौतियों से घिरा दिखता है जिनका वर्णन मुंशी प्रेमचंद के इस कालजयी उपन्यास में हुआ है. गोपाल प्रधान का आलेख सन 1935 में लिखे होने के बावजूद प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' को पढ़ते हुए आज भी लगता है जैसे इसी समय के ग्रामीण जीवन की कथा सुन रहे हों....
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