लोकसभा चुनाव अभी सवा साल दूर हैं। इसे यों भी कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में बस 16 महीने रह गए हैं। सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2019 के चुनाव में एक बड़ा फर्क होगा। तब कांग्रेस सत्ता में थी और उससे सवाल पूछे जा रहे थे। आज भाजपा सत्ता में है और उससे जवाब मांगा...
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जीने का अधिकार और पानी का प्रश्न-- रमेश सर्राफ धमोरा
जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मनुष्य चांद से लेकर मंगल तक की सतह पर पानी तलाशने की कवायद में लगा है, ताकि वहां जीवन की संभावना तलाशी जा सके। पानी की महत्ता को हमारे पूर्वज भी अच्छी तरह जानते थे। जीवन के लिए इसकी आवश्यकता और उपयोगिता का हमारी तमाम प्राचीन पुस्तकों व धार्मिक कृतियों में व्यापक उल्लेख मिलता है। जल न हो तो...
More »पर्याप्त सरकारी मदद के जरिये ही पहुंच सकती हैं सभी तक स्वास्थ्य सेवाएं
भारत के विशाल और विविध भू-भागों में रहने वाली आबादी तक समुचित स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती रही है. इसमें बड़ी कमी सरकारों की रही है, जो अपने कुल बजट का महज एक फीसदी तक हिस्सा ही सार्वजनिक स्वास्थ्य मद में खर्च करती रही है. स्वास्थ्य क्षेत्र के समूच परिदृश्य समेत इससे संबंधित अन्य पहलुओं को इंगित कर रहा है आज का वर्षारंभ ... अनंत कुमार एसोसिएट प्रोफेसर,...
More »विज्ञापन, समाज और कानून--- महेश तिवारी
प्रौद्योगिकी के विकास के साथ देश के भीतर विज्ञापनों की बाढ़-सी आ गई है। विज्ञापनों के द्वारा कंपनियां अपने उत्पाद के प्रति लोगों को रिझाने और आकर्षित करने के चक्कर में उपभोक्ताओं के प्रति अपने कर्तव्य और नैतिक जिम्मेदारियों से दूर हटती जा रही हैं। अपने उत्पाद के प्रचार के लिए कंपनियां मनोरंजन और खेल की दुनिया के सितारों को पेश करती हैं, ताकि लोग उनके सम्मोहन के प्रभाव में...
More »बीमार हुआ भरोसा, करना होगा 'उपचार" - डॉ सचिन चित्तावर
हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम ऐसे देश में रह रहे हैं, जहां हमें बहुत ही सस्ता, मगर गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध है। दुनिया के विकसित देशों में भी इतनी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। भारतीय चिकित्सकों की गुणवत्ता और भरोसे के कारण ही दुनियाभर से मरीज भारत आकर इलाज कराना पसंद करते हैं। मगर कैसी हैरत की बात है कि भारत में ही डॉक्टरों पर सबसे...
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