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सेहत का एक मोर्चा जहां पड़ोसी देशों से पिछड़ रहा है भारत !

बीते साल (2013) प्रसव के दौरान दुनिया में 2 लाख 89 हजार माताओं की जान गई जिसमें 50 हजार माताएं अकेले भारत से हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ की नई रिपोर्ट ट्रेन्डस् इन मैटरनल मोर्टालिटी एस्टीमेटस् 1990 टू 2013 के अनुसार यह संख्या प्रसव के दौरान मृत्यु का शिकार होने वाली कुल महिलाओं की संख्या का 17 प्रतिशत है और मातृ-मृत्यु दर के मामले में भारत पड़ोसी बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और चीन से पीछे है।(कृपया रिपोर्ट...

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जैविक खेती का रकबा भारत में घटा, दुनिया में बढ़ा

पूरी दुनिया में जैविक खेती का रकबा बढ़ रहा है लेकिन भारत में जैविक खेती के रकबे में कमी आई  है।इस बात का खुलासा द वर्ल्ड ऑफ आर्गेनिक एग्रीकल्चर- स्टैटिक्स एंड इमर्जिंग ट्रेन्ड्स नामक नई रिपोर्ट में किया गया है। (देखें नीचे दी गई लिंक)   रिपोर्ट के अनुसार साल 2011 से 2012 के बीच भारत में जैविक खेती के रकबे में तकरीबन 5.84 लाख हैक्टेयर(तकरीबन 54 प्रतिशत) की कमी आई है और जैविक खेती के रकबे के मामले में भारत...

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किसान आत्महत्या- पुरानी पहेली का नया समाधान

प्रति व्यक्ति आय, सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा के मामले में देश का म़ॉडल राज्य कहलाने वाले केरल में पुरुषों की आत्महत्या दर विश्व में सर्वाधिक (66.3) है जबकि बीमारु राज्यों में शुमार बिहार में पुरुषों की आत्महत्या दर सबसे कम (6.3)।  यह विरोधाभास क्यों ? ग्रामीण-संकट के अध्येताओं को लंबे समय से परेशान करने वाली इस पहेली का एक क्या उत्तर मिलता है प्रतिष्ठित लैंसेट जर्नल में प्रकाशित जॉनथन कनेडी और लारेंस किंग के एक अध्ययन...

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जेब भरे तो सेहत सुधरे- कोई जरुरी तो नहीं

किसी देश की अर्थव्यवस्था तेज गति से छलांग लगा रही हो तो जरुरी नहीं कि वहां बच्चों के पोषण की दशा में भी सुधार हो रहा हो। प्रतिष्ठित लैंसेट ग्लोबल हैल्थ जर्नल में प्रकाशित एक शोध अध्ययन के मुताबिक प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) में बढोत्तरी का शुरुआती बालावस्था के कुपोषण को दूर करने से कोई सीधा रिश्ता नहीं है।(शोध-अध्ययन के लिए देखें नीचे दी गई लिंक) यह अध्ययन निम्न और...

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ग्रामीण नागरिक पर बढ़ रहा है स्वास्थ्य खर्च का बोझ

देश के ग्रामीण इलाके के औसत नागरिक का स्वास्थ्य खर्च औसत शहरी नागरिक के स्वास्थ्य खर्च की तुलना में ज्यादा है। 68 वें दौर की गणना पर आधारित नेशनल सैंपल सर्वे की नवीनतम रिपोर्ट इस तथ्य का खुलासा करती है।   लेवल एंड पैटर्न ऑफ कंज्यूमर एक्सपेंडिचर  2011-12 शीर्षक इस रिपोर्ट के आंकड़ों के विश्लेषण से जाहिर होता है कि एक औसत भारतीय हालांकि प्रति माह औसत ग्रामीण भारतीय की तुलना में...

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