-गांव कनेक्शन, "यहां कोविड-19 के हालात बहुत खराब हैं। उद्गीर जैसे छोटे से शहर में रोजाना 10-20 लोगों की मौत होती है। कोरोना का इतना खौफ है कि अक्सर परिवार वाले डेड बॉडी को हाथ नहीं लगाते। शहर तो दूर गांव में ऐसे ही हालात हैं, फिर हम लोग उनका अंतिम संस्कार करते हैं। इस साल अब तक 140 लोगों का अंतिम संस्कार किया है।" गौस शेख ने गांव कनेक्शन को...
More »SEARCH RESULT
संक्रमण काल: महामारी के दौर में डॉक्टरों की भूमिका, सीमाएं और प्रोटोकॉल के कुछ सवाल
-जनपथ, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 24 मार्च, 2020 को देश के 1.3 अरब लोगों को महज चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन में धकेलेते हुए कहा था कि “यह धैर्य और अनुशासन बनाए रखने का समय है।..[आप] डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, पैथोलॉजिस्ट के बारे में सोचें जो अस्पतालों में दिन-रात काम कर रहे हैं ताकि प्रत्येक जिंदगी को बचाया जा सके।” मोदी ने विशेष तौर पर आग्रह किया कि...
More »भारत में आधिकारिक कोविड-19 के दर्ज मामलों से 20 गुना अधिक हैं कोरोना संक्रमित
-डाउन टू अर्थ, इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) के नए और ताजा शोध से पता चलता है कि 1 अगस्त, 2021 तक कोविड-19 से भारत में मरने वालों की संख्या 9,59,561 होगी जबकि वैश्विक स्तर पर अनुमानित मौत का आंकड़ा 50,50,464 रहेगा। इसका मतलब है कि कोविड-19 की वजह से होने वाली कुल मौतों में भारत की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत होगी। आईएचएमई वाशिंगटन विश्वविद्यालय में एक वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान केंद्र...
More »कुंभ 2021: क्या नेताओं के लिए ग्रहों की चाल आम ज़िंदगियों से ज़्यादा महत्वपूर्ण है
-द वायर, कुंभ मेला हर बारह साल पर होता है. हरिद्वार का पिछला कुंभ 2010 में हुआ था. हरिद्वार के वर्तमान कुंभ मेले की वास्तविक तारीख 2022 थी, 2021 नहीं. फिर इसकी तारीख को पूरे एक साल घटाकर इसका आयोजन उस जानलेवा साल में क्यों हुआ, जब भारत में कोविड की दूसरी लहर की आशंका जताई जा रही थी, और जब महामारियों के अध्ययन हमें बताते हैं कि संक्रमणों की दूसरी लहर हमेशा...
More »ऑक्सीजन संकट: आग लगने पर कुआं खोद रही हैं हमारी सरकारें
-न्यूजक्लिक, "अगर कोई, केंद्र सरकार, राज्य सरकार या फिर स्थानीय प्रशासन के किसी अधिकारी ने ऑक्सीजन सप्लाई में रुकावट डाली तो उसे फांसी पर चढ़ा देंगे।" नाराजगी भरे यह शब्द किसी व्यक्ति नेता और अफसर के नहीं है। बल्कि इंसाफ का फैसला सुनाने वाले अदालतों में से एक दिल्ली उच्च न्यायालय के हैं। जिनसे अपेक्षा की जाती है कि वह अगर कोई कड़वी बात भी कहेंगे तो थोड़ा उसे सलीके से...
More »