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जरूरत रोजगार के अवसर बढ़ाने की- नयन चंदा

अपने देश के 80 करोड़ गरीब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा मुहैया करवाने की शुरुआत भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस प्रकार की सामाजिक सुरक्षा   वाली लोक कल्याणकारी योजना शुरू करना नैतिक रूप से सराहनीय है, लेकिन आर्थिक नजरिए से यह समस्या पैदा करने वाली भी है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के लिए शुरू की गई  ऐसी योजना को  निरंतर बनाए रखने और उसके लिए पैसा जुटाने के लिए ...

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भूमि सुधार के बिना औद्योगिकीकरण नहीं

पटना: भारत में भूमि सुधार के बिना औद्योगिकीकरण संभव नहीं है. बिहार व उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में तो इसकी और आवश्यकता है. ये बातें प्रसिद्ध राजनीतिक अर्थशास्त्री अमिय कुमार बागची ने मंगलवार को अनुग्रह नारायण सिन्हा सामाजिक अध्ययन शोध संस्थान के स्थापना दिवस पर ‘द नेक्स्ट ट्रांसफॉरमेशन फॉर ह्यूमन काइंड : टूवार्डस इगेलिटेरियन एंड ग्रीन ग्रोथ’ पर आयोजित व्याख्यानमाला में कहीं. अपना प्लांट लगाने का प्रयास नहीं उन्होंने कहा कि अभी तक राज्य...

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ओईसीडी ने कहा, 2014-18 के दौरान देश की सालाना विकास दर औसतन 5.9 फीसदी ही रहेगी ओईसीडी की रिपोर्ट भारतीय अ?

ओईसीडी ने कहा, 2014-18 के दौरान देश की सालाना विकास दर औसतन 5.9 फीसदी ही रहेगी ओईसीडी की रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था चालू खाता घाटा समेत अनेक समस्याओं से त्रस्त वहीं, उभरते एशिया में आर्थिक विकास की रफ्तार आगे भी रहेगी दमदार घरेलू मांग मे लगातार बढ़ोतरी की बदौलत ही तेज विकास हो पाएगा संभव बेहतरी कहां एमर्जिंग एशिया की सालाना विकास दर इस दौरान औसतन 6.9' रहने...

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लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने वाले- तवलीन सिंह

राहुल गांधी के कहने पर सरकार ने अपना अध्यादेश वापस ले लिया पिछले सप्ताह। जिस दिन से राहुल जी ने अध्यादेश के खिलाफ आवाज उठाई, उस दिन से ही तय हो गया कि ऐसा होना ही था, लेकिन ऐसा लगने लगा है मुझे कि दिल्ली में बैठे कई वरिष्ठ राजनीतिक पंडितों को अपनी 'बकवास' पर विश्वास होने लगा है। सो अध्यादेश के वापस लिए जाने के अगले दिन अखबारों की सुर्खियों...

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खनन से किसका हित, मिल कर सोचें- ।।किशन पटनायक।।

बिक्री लायक पदार्थो को ‘पण्य’(माल) कहा जाता है और उनके संग्रह को ‘संपत्ति’. आधुनिक समाज में संपत्ति को मूल्यों (रुपयों) में आंका जाता है. मैं अगर करोड़पति हूं, तो मेरी संपत्ति का मूल्य करोड़ों रुपयों में है. दुनिया में जितनी भी संपत्ति है, उनके मूल में हैं प्राकृतिक संसाधन. मेहनत, बुद्धि और मशीनों के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों से विभिन्न पण्य वस्तुओं को बनाया जाता है. मशीनें भी खनिज धातु यानी प्राकृतिक...

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