ऊंचे पहाड़ों व चट्टानों के बीच बसे कर्नाटक के चुलुवनाहल्ली गांव के बीते दस साल बेदह त्रासदीपूर्ण रहे। गांव के एकमात्र तालाब की तलहटी में दरारें पड़ गईं, जिससे बारिश का पानी टिकता नहीं था। तालाब सूखा तो सभी कुए, हैंडपंप व ट्यूबवेल भी सूख गए। साल के सात-आठ महीने तो सारा गांव महज पानी जुटाने में खर्च करता था। ऐसे में खेती-किसानी चौपट हो गई। ऐसे में गांव के...
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फसल की बर्बादी न देख सका किसान, मौत
बांदा, ब्यूरो। दैवीय आपदा के चलते फसल की बर्बादी और सरकारी उपेक्षा से परेशान एक और किसान की सोमवार को हार्टअटैक से मौत हो गई। किसान की बेटी की शादी दो मई को होने वाली है। घटना से परिवारीजन में कोहराम मचा है। कोतवाली क्षेत्र के ग्राम कुचेंदू निवासी गुलाब यादव सुबह अपनी पत्नी मुन्नी देवी से ओलावृष्टि से बर्बाद फसल के बारे में बात कर रहे थे तभी चक्कर...
More »किसानों की तकदीर बदलने वाले धान पर अनुदान बंद- अनंगपाल दीक्षित
अविभाजित सरगुजा जिले में विगत 10 वर्षों से सर्वाधिक उत्पादन देने वाली धान की प्रमुख किस्मों पर बीज अनुदान बंद कर दिया गया है। इस वर्ष सरगुजा क्षेत्र में एकमात्र धान की किस्म पर बीज अनुदान मिलेगा। यह किस्म भी सरगुजा के किसान काफी कम उपयोग में लाते हैं। हर वर्ष लगभग साढ़े तीन सौ से अधिक किसानों का चयन कर उनके खेतों में धान-बीज तैयार कराया जाता है जिससे...
More »नये मध्यवर्ग का चरित्र- पवन के वर्मा
भारत का युवा गणतंत्र संकट में है, और भारतीय मध्य-वर्ग इसमें मुखर प्रतिभागी और हाशिये पर खड़ा दर्शक बना हुआ है. इस द्वैध के कई कारण हैं. इतिहास में किसी वर्ग के लिए यह असामान्य नहीं रहा है कि वह अपने अंदर कहीं बड़ी संभावना रखता हो, लेकिन आम तौर पर उससे बेखबर हो तथा उस बड़ी भूमिका को निभाने के लिए उसकी उतनी तैयारी भी न हो. सामाजिक रूपांतरण की...
More »जल प्रबंधन से बन गयी अंतरराष्ट्रीय पहचान- राहुल सिंह
वे अखबार नहीं पढ़ सकते. दो-चार पांच पंक्तियां लिख नहीं सकते. अगर कोई सामान्य बात भी लिखवाना हो तो किसी दूसरे की मदद लेते हैं. किसी तरह अपना हस्ताक्षर कर लेते हैं या एकाध टूटी-फूटी पंक्ति लिख लेते हैं. लेकिन उन पर दुनिया के प्रख्यात विश्वविद्यालय कैंब्रिज के छात्र भी शोध करते हैं. अपनी पीएचडी की थिसिस में उनके कार्यो व पर्यावरण संरक्षण के साथ ग्रामीण विकास के लिए उनके...
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