दिल्ली सरकार दिल्ली की उन सभी कॉलोनियों को नियमित करने नहीं जा रही है, जिन कॉलोनियों के प्रोविजनल सर्टिफिकेट वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव से पूर्व बांटे गए थे। फिलहाल सरकार 622 कॉलोनियों को ही नियमित कर पाएगी। शेष कॉलोनियों को लेकर जमीन से संबंधित एजेंसियों ने आपत्तिदर्ज कराई है। आपत्तिदर्ज कराने वाली एजेंसियों में भारतीय पुरातत्व विभाग, वन विभाग आदि शामिल हैं। नियमित होने वाली कॉलोनियों की सूची एमसीडी को भेजी गई है। मंगलवार को...
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नई सरकार का गरीबों को तोहफा
रांची। सत्ता में आते ही शिबू सरकार ने सूबे को नए वर्ष का तोहफा दे दिया है। गरीबों को अत्यंत सस्ते दर पर प्रतिमाह 35 किलो अनाज दिया जाएगा। वृद्धावस्था पेंशन की राशि भी बढ़ाई जाएगी। गरीबी रेखा सूची को सुधारा जाएगा और छूटे नामों को नयी सूची में शामिल करते हुए नये राशनकार्ड निर्गत किये जाएंगे। शपथग्रहण समारोह के बाद प्रोजेक्ट भवन में नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक के बाद शिबू ने...
More »गुजरात: वनवासी कल्याण के लिए 15 हजार करोड़
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सदियों से वनों में निवास करने वाली जनजातियों को वनभूमि पर मालिकाना हक देने के केंद्र सरकार के कानून की तरफदारी करते हुए गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह वनवासियों के कल्याण पर 15 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है। यही नहीं, राज्य सरकार ने वनों में निवास करने वाले जनजातीय लोगों को जनस्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा, अधिकार, स्वच्छता और अनाज वितरण की सरकारी योजना [पीडीएस] का लाभ...
More »संपत्ति का ब्योरा दें विधायक
भुवनेश्वर। विधानसभा को चुने गए जनप्रतिनिधि अब से हर साल अपनी संपत्ति तालिका देने को बाध्य होंगे। विधानसभा कमेटी बैठक में सदस्यों ने संपत्ति तालिका पर उक्त बात कही। इस कार्यक्रम को मौजूदा साल से महत्व दिए जाने की बात कमेटी अध्यक्ष विधायक रमेश चन्द्र पटनायक ने कही है। उन्होंने कहा कि विधायकों द्वारा नियमित तौर पर संपत्ति तालिका प्रदान करने पर स्वच्छता आ सकती है। आगामी 15 जनवरी तक सभी विधायकों द्वारा उनके वार्षिक...
More »कितना भूखा है मध्यप्रदेश: शिरीष खरे
झाबुआ, मध्यप्रदेश: कुपोषण ने दो दर्जन से ज्यादा बच्चों को निगला है- यह हाल आदिवासी जिले झाबुआ का है, जहां मेघनगर ब्लाक के अगासिया और मदारानी गांवों में बच्चों की मौत का सिलसिला है कि टूटता ही नहीं। फिलहाल पूरा मध्यप्रदेश ही इतना भूखा है कि यहां न जाने क्यों भूख का नामोनिशान है कि मिटता ही नहीं ?केवल अक्टूबर में ही झाबुआ के इन 2 गांवों से 25 बच्चों...
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