भोपालपटनम। बीजापुर जिले के भोपालपटनम ब्लॉक के सेंड्रा पंचायत के तीन सौ से अधिक परिवारों के लोग 35 किलो चावल के लिए चार दिन का सफर तय कर रहे हैं। दो अन्य पंचायतों के लोगों का भी यही हाल है। 2005 में सलवा जुडूम शुरू होने के बाद भोपालपटनम ब्लॉक के तीन पंचायतों सेंड्रा, बड़ेकाकलेड व एड़ापल्ली के सरकारी राशन दुकानों को ब्लॉक मुख्यालय में शिफ्ट किया गया था। इन तीन...
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इस तकनीक से खेती कर गरीबी दूर कर रहा कवर्धा का किसान
कवर्धा। किसान बजरहा ने अपने बाड़ी में कुआं क्या खुदवायां उससे उनकी तकदीर ही बदल गई। साल भर काम की तलाश में भटकने वाला यह किसान अब दूसरों को रोजगार देने लगा है। कुआं खुदवाने से उन्हें सिंचाई का साधन मिल गया है। धान का फसल लेने के बाद अब गर्मी में गेहूं का फसल लेता है और साग-सब्जियां की खेती भी करता है। उसे कुआं खुदवाने में सरकार की ओर...
More »मिलीजुली राजनीति में फंसा मोदी का अर्थशास्त्र--- शेखर गुप्ता
जोसेफ हेलर के प्रसिद्ध उपन्यास कैच-22 में लेफ्टिनेंट मायलो माइंडरबाइंडर का चरित्र खुद से कारोबार करके ख्याति अर्जित करता है। वह खुद से इस तरह कारोबार करता कि लेन-देने के चक्र में शामिल हर व्यक्ति को मुनाफा होता, जो अंतत: सरकार की जेब से ही आता है। वह किसी चीज की पूरी सप्लाई खरीद लेता जैसे एक गांव के सारे अंडे, टमाटर खरीद लिए और फिर अपनी ही फौजी यूनिट...
More »पर्यावरण संरक्षण की मुश्किलें-- पंकज चतुर्वेदी
जिस तरह देश की आबादी बढ़ रही है, हरियाली और खेत कम हो रहे हैं, जल-स्रोतों का रीतापन बढ़ रहा है, हम हर दिन वनस्पति और जंतुओं की किसी न किसी प्रजाति को सदा के लिए खो रहे हैं, खेत और घर में जहरीले रसायनों का इस्तेमाल बढ़ रहा है, भीषण गरमी से जूझने में वातानुकूलित यंत्र और अन्य भौतिक सुखों की पूर्ति के लिए बिजली का इस्तेमाल बढ़ रहा...
More »शौचालय बनाकर कंगाल हुई पंचायतें, मूलभूत सुविधाओं को तरसे ग्रामीण
रायपुर। रायपुर जिले से लगे गांवों को सरकार ने भले ही ओडीएफ घोषित कर दिया है, लेकिन शौचालय मुक्त गांव बनने के लिए इन ग्राम पंचायतों को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। पंचायतों ने दबाव में 14 वित्तीय योजनाओं के तहत जारी राशि यानी मूलभूत सुविधाओं के लिए मिलने वाले पैसों को शौचालय बनवाने में खर्च कर दिए। अब वे कंगाल हो गई हैं, ऊपर से लाखों का भुगतान भी बाकी...
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