भोपाल। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और नेशनल हेल्थ प्रोग्राम में प्रदेश के पूरे पचास जिलों ने फर्जी आंकड़े पेश कर वाहवाही लूटी और स्वर्णिम मध्य प्रदेश के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की बुनियाद रख दी। बाद में आंकड़े क्रास चेक करने पर विभाग के होश उड़ गए। अधिकांश आंकड़े फर्जी होने के बाद आनन फानन में सभी जिलों के कार्यक्रम प्रबंधकों की वेतनवृद्धि रोक दी गई। अब नए फार्मेट में आंकड़े भरे जा रहे हैं। ...
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मनरेगा में बड़ा घोटाला, पंचायत पदाधिकारियों ने अपनों को किया भुगतान
राजस्थान में यह महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में घोटाले का संभवतः सबसे बड़ा मामला है। एक ऐसा मामला जो केंद्र सरकार की इस फ्लैगशिप योजना में पंचायतों के स्तर पर हो रहे गबन, धोखाधड़ी और जालसाजी की मिसाल है। इस भ्रष्टाचार का खुलासा डूंगरपुर जिला प्रशासन द्वारा कराई गई जांच से हुआ है। पंचायत पदाधिकारियों ने बिना काम कराए और बिना सामानों की सप्लाई के ही ५८...
More »किसानों को प्रशिक्षित करने पर होगा 100 करोड़ व्यय
पटना राज्य में कृषि स्नातकों व वेटनेरी डाक्टर बेरोजगार नहीं रहेंगे। कृषि मंत्रालय ने कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के कार्यक्रमों पर होने वाले व्यय का 90 प्रतिशत वित्तीय भार वहन करने की सहमति प्रदान की है। इसके तहत पंचायत स्तर पर दो कृषि वैज्ञानिक, प्रखण्ड स्तर पर तकनीकी प्रबंधक, राज्य स्तर पर एक परियेाजना निदेशक व दो उपनिदेशकों की नियुक्ति होगी। इसके लिए केन्द्र से राशि मिलेगी। कृषि विभाग के अनुसार आत्मा की योजना...
More »किसानों को प्रशिक्षित करने पर होगा 100 करोड़ व्यय
पटना राज्य में कृषि स्नातकों व वेटनेरी डाक्टर बेरोजगार नहीं रहेंगे। कृषि मंत्रालय ने कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के कार्यक्रमों पर होने वाले व्यय का 90 प्रतिशत वित्तीय भार वहन करने की सहमति प्रदान की है। इसके तहत पंचायत स्तर पर दो कृषि वैज्ञानिक, प्रखण्ड स्तर पर तकनीकी प्रबंधक, राज्य स्तर पर एक परियेाजना निदेशक व दो उपनिदेशकों की नियुक्ति होगी। इसके लिए केन्द्र से राशि मिलेगी। कृषि विभाग के अनुसार आत्मा की योजना...
More »मनरेगा में करोड़ों का फर्जीवाड़ा
भोपाल। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (नरेगा ) जो अब महात्मा गाधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के नाम से जानी जाती है। इस योजना का उद्देश्य था कि क्षेत्र के मजदूरों को अपने ही गाव में काम मिले और वे पलायन नहीं कर सकें, लेकिन अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से काम मशीनों द्वारा करा लिए जाते है, जिससे मजदूरों को काम नहीं मिल पाता। इस कारण गरीब परिवार काम के सिलसिले में...
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