नई दिल्ली। बढ़ती महंगाई के बीच कई आवश्यक वस्तुओं का आयात बढ़ाना पड़ा। इसकी वजह से बीते वित्त वर्ष 2009-10 में संवेदनशील वस्तुओं का आयात 40.5 फीसदी बढ़कर 65 हजार 564 करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2008-09 में संवेदनशील वस्तुओं का आयात 46 हजार 667 करोड़ रुपये रहा था। डेयरी उत्पाद, दूध, खाद्यान्न, खाद्य तेल, काफी, चाय और दाल जैसी वस्तुओं को संवेदनशील की श्रेणी में रखा जाता...
More »SEARCH RESULT
क्यों छिपाया गया एमआईसी का एंटी डोज
भोपाल। एमआईसी गैस का प्रभाव नष्ट करने वाली दवा फैक्ट्री में मौजूद होने के बाद भी यूनियन कार्बाइड प्रबंधन ने आम लोगों को इसका लाभ नहीं दिया। जबकि फैक्ट्री की डिस्पेंसरी में त्रासदी की रात लगभग पांच सौ प्रभावितों का उपचार हुआ था और उनमें से किसी की भी मौत नहीं हुई। दूसरी ओर शहर के अन्य अस्पतालों में लोग तड़प तड़पकर मौत के मुंह में पहुंच गए। यूनियन कार्बाइड...
More »शुगर क्यों हो, स्टीविया है न
रचना गुप्ता, शिमला। इसे चीनी के आसमान छूते दामों का दम कहें या स्वास्थ्य सरोकारों के लिए संजीदगी, खबर यह है कि लोग अब चाय में न तो चीनी पी रहे हैं न शुगरफ्री गोलियां। स्टीविया अब उनकी जीवनचर्या का अंग बन चुका है। मिठास के लिए वे मीठे पौधे स्टीविया का प्रयोग रूटीन में करने लगे हैं। इस पौधे को चीनी के विकल्प के कारण घरों में लगाने लगे...
More »भोपाल गैस कांड : सोराबजी जवाब दीजिए
नौ साल पहले 2001 में तब के एटार्नी जनरल सोली सोराबजी ने वाजपेयी सरकार को राय दी थी कि वारेन एंडरसन के प्रत्यर्पण की कोशिश नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि इसके सफल होने की संभावना नहीं है। इसके बाद सरकार ने प्रत्यर्पण की कोशिश नहीं की। उन्होंने अमेरिकी कानूनी फर्म से राय लेने की सलाह भी दी, जबकि इसके पहले 31 जुलाई 1998 को उन्होंने कहा था,‘लापरवाही से मौत (आईपीसी की धारा...
More »‘वे इतिहास को वल्गराइज कर रहे हैं’
मध्यकालीन भारत पर दुनिया के सबसे बड़े विशेषज्ञों में गिने जाने वाले इरफान हबीब आजकल भारत के जन इतिहास शृंखला पर काम कर रहे हैं. इसके तहत दो दर्जन से अधिक किताबें आ गई हैं. हिन्दी पत्रिका तहलका के रेयाज उल हक के साथ बातचीत में वे बता रहे हैं कि किस तरह इतिहासकारों के लिए वर्तमान में हो रहे बदलाव इतिहास को लेकर उनके नजरिए को भी बदल देते...
More »