-आउटलुक, देशभर में 21 दिन के लॉकडाउन के कारण दाल मिलों में प्रोसेसिंग भी नाममात्र की ही हो रही है, जिस कारण दालों की कीमतों में कीमतों में तेजी आई ही है, साथ पशुचारा छिल्का, खांडा और चोकर के दाम भी 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गए हैं। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार इलाहाबाद में सोमवार को उड़द दाल के खुदरा दाम 120 रुपये, मूंग दाल के 100 रुपये,...
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कोरोना के मारे, सिस्टम से हारे: बीमारी से पहले हादसों में ही चल बसे दो दर्जन से ज्यादा प्रवासी
-मीडियाविजिल, कोरोना महामारी के फैलाव को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद देश के अलग-अलग राज्यों से अपने-अपने घर लौटने के पीड़ादायक प्रयास में बीते छह दिनों में 25 प्रवासी मजदूरों और उनके परिवार के सदस्यों की मौत की ख़बर है, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं. एक तरफ देश में बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस से मृतकों की संख्या बढ़कर 43...
More »तीसरी दुनिया: वायरस पर नियंत्रण के बहाने दुनिया को एबसर्ड थिएटर में बदलती सरकारें
-मीडियाविजिल, लंदन से प्रकाशित दैनिक ‘इंडिपेंडेंट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जाहिर की है कि कई देशों की सरकारें कोरोना वायरस पर नियंत्रण के बहाने अपने उन कार्यक्रमों को पूरा करने में लग गयी हैं जिन्हें पूरा करने में जन प्रतिरोध या जनमत के दबाव की वजह से वे तमाम तरह की बाधाएं महसूस कर रहीं थीं। रिपोर्ट के अनुसार 16 मार्च को संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध विशेषज्ञों...
More »कोरोना संक्रमण : एशिया की सबसे बड़ी मंडी में 50 फीसदी गिरावट, 40 हजार मजदूरों पर संकट
- डाउन टू अर्थ, “यहां कोरोना संक्रमण से क्या बचाव करें ? हम जांच और पूरी सुरक्षा के साथ किसी तरह भी अपने अपने घर लौटना चाहते हैं। यहां काम कुछ बचा नहीं है। न बाहर से सब्जियों के वाहन आ रहे हैं और न ही खरीदार। पहले व्यस्त दिनों में 700 से 800 रुपये तक कमा लिए करते थे, इन दिनों 100-150 रुपये तक मिलना मुश्किल हो गया है।” करीब...
More »सवाल यह है कि पहले कभी ये मजदूर आते-जाते क्यों नहीं दिखे?
-गांव कनेक्शन, पूरा भारत लॉकडाउन में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील कि 21 दिन तक कोरोना से बचाव के लिए वो घरों के बाहर लक्ष्मण रेखा खींच लें। होटल-ढाबे बंद हैं, बस-ट्रेनें बंद हैं, ऐसे में दूसरे राज्यों में फँस चुके लाखों मजदूर सैकड़ों किलोमीटर दूर पैदल ही अपने घर की ओर निकल पड़े हैं, यह मजदूर क्या चाहते हैं और क्यों इन मजदूरों की ऐसी दशा हुई,...
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