अतुल शुक्ला, जबलपुर। बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने शासन-प्रशासन द्वारा कदम उठाए जाते रहे हैं, लेकिन इस प्रकोप से पशुओं को बचाने न तो कोई प्रयास हुए और न ही किसी को इसके लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इस ओर ध्यान दिया है। मध्यभारत का पहला पशु आपदा प्रबंधन सेंटर वेटनरी कॉलेज में खोला जा रहा है। ये सेंटर मध्यप्रदेश...
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विकास के मॉडल का सवाल- के पी सिंह
जनसत्ता 22 मई, 2014 : चुनाव प्रचार के दौरान विकास के बहुतेरे मॉडल विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की ओर से प्रस्तुत किए गए। इससे पहले के चुनावों में भी विकास का कोई न कोई खाका पेश करके राजनीतिक दल मतदाताओं का विश्वास हासिल करते रहे हैं। इसके बावजूद ग्रामीण और दुर्गम पहाड़ी अंचलों में अधिकतर नागरिक आज भी स्वच्छ पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहे...
More »नई ईस्ट इंडिया कंपनी के दौर में- गौतम घोष
जल्दी ही हम नई सरकार चुन लेंगे और देश का अगला प्रधानमंत्री भी। धूमधाम से मतदान का लोकतांत्रिक पर्व निपट जाएगा। आजादी के 67 वर्षों बाद भी हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। यह गर्व की बात है। पर आज हमारे सामने चुनौतियां कम नहीं हैं। हम देशवासियों के सामने प्रश्न खड़ा है कि सिर्फ सांविधानिक अधिकारों के प्राप्त हो जाने से ही हमारा संविधान और लोकतंत्र सफल मान लिया...
More »चिकित्सा पर्यटन का नया केंद्र- मुकुल श्रीवास्तव
अपने देश में चिकित्सा पर्यटन यानी सस्ती एवं बेहतर चिकित्सीय सुविधाओं एवं सेवाओं के लिए देश के ही भीतर अथवा दूसरे देशों में की जाने वाली यात्रा, पिछले कुछ वर्षों में एक प्रमुख पर्यटन उत्पाद के रूप में उभरी है। इसकी वजह यहां की भौगोलिक विविधता और समृद्ध ऐतिहासिक विरासत और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं हैं, जिस कारण यहां आने वाला मरीज इलाज कराने के साथ-साथ आस-पास के इलाकों में घूमकर स्वास्थ्य लाभ भी...
More »गांवों में केवल बूढ़े रह जायेंगे
तकनीक और शहरीकरण पूरी दुनिया को तेजी से बदल रहे हैं. खास कर विकासशील देशों को. अपना देश भी इससे अछूता नहीं है. जैसे-जैसे ‘इंडिया’ 2025 की ओर बढ़ रहा है, हम ‘भारत’ के बारे में भूल रहे हैं. इस श्रृंखला में हम यह आकलन पेश करने की कोशिश करेंगे कि 2025 में कैसी होगी हमारी जिंदगी. पेश है पहली कड़ी. नयी दिल्ली : आज भारत में कस्बे तेजी से शहरों में...
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