-सत्याग्रह, अगले 10 दिन के दौरान भारतीय रेलवे 2600 विशेष ट्रेनों के जरिये करीब 36 लाख यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाएगा. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी. उन्होंने यह भी कहा कि अभी फिलहाल रोजाना 200 ट्रेनें चल रही हैं और एक जून से 200 अतिरिक्त ट्रेनें चलाने की भी तैयारी है. उनके मुताबिक प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए...
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मोदी जी, सुधार तो बाद की बात है, किसानों को कैश की जरूरत है
-द क्विंट, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने पांच किस्तों में हमें उन ‘वित्तीय प्रोत्साहन’ और सुधारों का ब्यौरा दिया जिसकी घोषणा 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने की थी. तीसरी किश्त में निर्मला ने कृषि क्षेत्र की बात की और ऐतिहासिक सुधारों का ऐलान किया जैसे कि: 1) आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव कर कृषि सामग्री में छूट देना; 2) कृषि उत्पादन विपणन समित अधिनियम यानी APMC...
More »कोविड-19 आर्थिक पैकेजः निर्मला सीतारमण के ‘नए ढाँचागत सुधार’ आख़िर कितने नए हैं?
-बीबीसी, वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने पाँच चरणों में 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का पूरा विवरण देश के सामने रखा है. वन नेशन, वन राशन कार्ड के ज़रिए प्रवासी मज़दूरों को उनके काम के ठिकाने पर फ्री अनाज और छोटे-मझोले व्यवसाय के लिए क़र्ज़ में रियायतों के ऐलान किए गए हैं. 'आत्मनिर्भर भारत' पैकेज के तहत बीते शनिवार को किए गए चौथे ऐलान में स्ट्रक्चरल रिफ़ॉर्म यानी संरचनात्मक बदलाव की...
More »सुधारों में किसान कहां
-आउटलुक, “लॉकडाउन में एपीएमसी सुधारों के जरिए कॉरपोरेट को लाभ दिलाने जैसे एकतरफा फैसले किसानों के हक में कितने” इस समय देश की इकोनॉमी संकट में फंसी है। लॉकडाउन में जब सब कुछ बंद रहा तब भी किसान पूरे जोर-शोर से अपने खेतों में काम में लगा हुआ था। इस दौरान किसानों को बाजार में बंदी और फसलों की सही खरीद नहीं होने से हजारों करोड़ रुपये का घाटा हुआ। सरकार को...
More »भारत कोरोना के बाद चीन के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की जगह ले सकता है, ये कहना जल्दबाजी होगी
-द प्रिंट, लोग इन दिनों सवाल कर रहे हैं कि क्या कोविड-19 के बाद भारत मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में चीन की जगह ले सकता है. न्यूयार्क टाइम्स के कॉलमिस्ट थॉमस फ्रीडमन ने हाल ही में हुए दिप्रिंट के ऑफ द कफ में इस बारे में अपनी राय दी है. टॉमस फ्रीडमन का यह कहना है कि दुनिया अब एकदम से बदल जाएगी यह कहना जल्दबाजी होगी और ग्लोबलाइजेशन खत्म होने की बात भी...
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