जनसत्ता 12 अगस्त, 2013: सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पुलिस सुधारों का मुद्दा फिर चर्चा में है। सात साल पहले सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस सुधारों के बारे में व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए थे। लेकिन उसका क्या अंजाम हुआ यह इस मामले में न्यायमित्र (एमिकस क्यूरे) की भूमिका निभा रहे महाधिवक्ता जीएम वाहनवती द्वारा न्यायालय को दी गई इस सूचना से जाहिर है कि राज्य सरकारों ने पुलिस सुधारों पर मामूली...
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ग्राम सभाएं दिलायेंगी असली आजादी
कहते हैं लोक सभा न विधान सभा, सबसे ऊंची ग्राम सभा. इस बात को ओड़िशा के नियमगिरि पहाड़ पर खनन रोकने से संबंधित ग्राम सभा के फैसलों ने और पुष्ट किया है. वेदांता जैसी बड़ी वैश्विक कंपनी को ग्राम सभा के फैसलों के आगे झुकना पड़ रहा है. मगर अपने राज्य झारखंड में गांव के लोगों ने अब तक ग्राम सभा की ताकत को नहीं पहचाना है. पंचायती राज के हक...
More »मिलावटी दूध की बिक्री पर रोक लगायें राज्य- न्यायालय
नयी दिल्ली (भाषा)। उच्चतम न्यायालय ने देश में मिलावटी दूध की बिक्री पर चिंता जताते हुए आज कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और इस पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकारों की ओर से कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति के. एस. राधाकृष्णन और पिनाकी चंद्र घोष ने पूछा, ‘‘यह एक बहुत गंभीर मुद्दा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि ऐसा पूरे देश में हो...
More »रैनबैक्सी मामले पर 24 को सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट ने दवा कंपनी रैनबैक्सी के खिलाफ दाखिल याचिका पर 24 जून को सुनवाई की मंजूरी दे दी है। वकील एमएल शर्मा ने जनहित याचिका दायर कर कंपनी पर मिलावटी दवाएं बनाने और बेचने का आरोप लगाया है। याचिका में रैनबैक्सी का लाइसेंस निरस्त करने और उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। सोमवार को शर्मा ने न्यायमूर्ति एके पटनायक व न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की...
More »सूचना अधिकार की नजर- कनक तिवारी
जनसत्ता 17 जून, 2013: केंद्रीय सूचना आयोग के ताजा निर्णय के कारण राजनीतिक पार्टियों में खलबली मच गई है। आयोग का फैसला राजनीतिक पार्टियों की पीठ पर कोड़ा मारता दिखा, लेकिन उसे दलों ने पेट पर लात मारने की शक्ल में माना और अपनी जगहंसाई कराई। आयोग के सामने प्रश्न था कि क्या सूचनाधिकार अधिनियम की धारा 2 (ज) के अनुसार राजनीतिक दलों को लोक प्राधिकारी (पब्लिक अथॉरिटी) माना जा...
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