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लॉकडाउन ने हाशिए पर रह रहे लोगों को बिल्कुल साधनहीन बना दिया है

हाल ही में किया गया सर्वेक्षण COVID-19 लॉकडाउन की घोषणा के लगभग 45 दिनों के बाद श्रमिकों की अनिश्चित स्थितियों का खुलासा करता है. इस सर्वे में दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, असम, राजस्थान और झारखंड राज्यों के 1,405 प्रवासियों से टेलीफोनिक साक्षात्कार के माध्यम से बातचीत कर अनिश्चित स्थितियों का आकलन किया गया था.  ‘लेबरिंग लाइव्स: हंगर, प्रीकरिटी एंड डेसपेयर एमिड लॉकडाउन’ नामक इस रिपोर्ट में लॉकडाउन के 45 दिन...

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आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत सिर्फ 28 फ़ीसदी प्रवासी मज़दूरों को ही राशन मिला

द वायर, कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के कारण अपने घरों को लौटने को मजबूर हुए और खाद्यान्न संकट से जूझ रहे प्रवासी मजदूरों में से सिर्फ करीब 28 फीसदी लोगों को ही अभी तक आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत राशन मिला है. व्यापक आलोचना और महामारी के दौरान सभी लोगों को राशन मुहैया कराने के लिए उठी मांगों के बाद केंद्र सरकार ने 15 मई 2020 को घोषणा किया था कि...

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महिला हेल्पलाइन 181 के 390 कर्मचारियों को एक साल से नहीं मिली सैलरी, महिला ने ट्रेन के आगे कूदकर दी जान

-गांव कनेक्शन,  महिला हेल्पलाइन 181 में काम करने वाली एक महिला कर्मचारी आयुषी सिंह ने तीन जुलाई को कानपुर में ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली। आयुषी के परिजन और साथ में काम करने वाले कर्मचारियों का आरोप है कि आयुषी (32 वर्ष) मानदेय न मिलने और नौकरी से निकाले जाने की वजह से काफी तनाव में थीं जिसकी वजह से उसने यह कदम उठाया। आयुषी जिस महिला हेल्पलाइन 181 में...

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मध्यप्रदेश में 55 हजार से अधिक ग्रामीणों पर विस्थापन का खतरा

-डाउन टू अर्थ, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन, दिल्ली और नर्मदा बेसिन प्रोजेक्टस कम्पनी लिमिटेड के बीच हुए अनुबंध के बाद 99 गांवों के लगभग 55 हजार लोगों पर विस्थापन का खतरा बढ़ गया है। इनमें लगभग 50 गांव आदिवासियों के हैं, जहां लगभग 30 हजार आदिवासी रह रहे हैं।  दरअसल, पिछले दिनों पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन, दिल्ली और नर्मदा बेसिन प्रोजेक्टस कम्पनी लिमिटेड, मध्यप्रदेश के बीच 22 हजार करोड़ का अनुबंध हुआ है। इसमें...

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मनरेगा, जरूरी या मजबूरी-1: 85 फीसदी बढ़ गई काम की मांग

-डाउन टू अर्थ, 14 साल पुरानी महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना एक बार फिर चर्चा में है। लगभग हर राज्य में मनरेगा के प्रति ग्रामीणों के साथ-साथ सरकारों का रूझान बढ़ा है। लेकिन क्या यह साबित करता है कि मनरेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है या अभी इसमें काफी खामियां हैं। डाउन टू अर्थ ने इसकी व्यापक पड़ताल की है, जिसे एक सीरीज के तौर पर...

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