किसी कारोबारी द्वारा बैंकों का कर्ज चुकता न किये जाने से न सिर्फ बैंकों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी कमजोर होती है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के नुकसान की भरपाई अंततः सरकारी खजाने से करनी पड़ती है. यह खजाना देश की सामूहिक आय, नागरिकों द्वारा दिये गये कर और बचत की राशि से बनता है. इसका मतलब यह है कि...
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बायो तकनीकी खेती : स्वास्थ्य चिंताओं के बीच फील्ड ट्रायल की मंजूरी
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर संभावित असर को लेकर जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) खेती के समर्थन और विरोध में जारी बहस के बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने फील्ड ट्रायल के लिए आये प्रस्तावों में से करीब 80 फीसदी को हाल में हरी झंडी दे दी है. मई, 2014 में केंद्र में एनडीए सरकार के गठन के बाद से इस संदर्भ में हुई आठ बैठकों के बाद पिछले दिनों यह मंजूरी दी गयी. ...
More »पहचान का संकट 99 प्रतिशत समाप्त
मानव की पहचान स्थापित करना बड़ा विचार है। इससे न सिर्फ व्यक्तिगत व सामाजिक स्तर पर कई समस्याएं सुलझीं बल्कि लंबे अरसे से समस्या बनी सभ्यतागत पहेलियां भी सुलझीं। साधारण शारीरिक चिह्नों से शुरू हुआ यह सफर फिंगरप्रिंट, आंखों की पुतलियों से होता हुआ डीएनए और डिजिटल पहचान तक पहुंचा है। पिछले कुछ दशकों में कंप्यूटर प्रोसेसिंग में तरक्की की बदौलत हमारी पहचान स्थापित करने के लिए ऑटोमेटेड बायोमेट्रिक सिस्टम आए...
More »खुली आंखों से घाटे का सौदा - मोहन गुरुस्वामी
अव्वल तो यही कि हम अपनी धारणाओं को दुरुस्त कर लें। मसलन, विजय माल्या का ही मामला लें तो पाएंगे कि आम धारणा यह है कि माल्या ने शानो-शौकत की जिंदगी बिताने के लिए बैंकों को भरमाकर 9000 करोड़ रुपयों तक का कर्ज ले लिया और जब कर्ज का बोझ बढ़ गया और चुकतारे का कोई रास्ता नजर आना बंद हो गया तो वह भारत छोड़कर फुर्र हो गया। लेकिन...
More »भारत से विदेश में जा बसे 4,000 करोड़पति
दिल्ली। पिछले वर्ष 2015 में भारत से 4,000 ऐसे अमीर लोग विदेश जाकर बस गए जिनकी हैसियत 10 लाख डॉलर यानी मौजूदा विनिमय दर के हिसाब से करीब 6.7 करोड़ रुपये या उससे अधिक है। दुनिया में उच्च संपदा वाले (एचएनआई) लोगों के अपने देश से पलायन के मामले में भारत चौथे स्थान पर है। न्यू वर्ल्ड वैल्थ की रिपोर्ट के अनुसार 2015 में भारत के 4,000 अति धनाढ्य व्यक्तियों ने...
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