अवसाद अब बड़ों की व्याधि नहीं रही, वह बच्चों को भी गिरफ्त में ले रही है। हाल ही में ‘दक्षिण पूर्व एशिया में किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति : कार्रवाई का सबूत' नामक विश्व स्वास्थ्य की रिपोर्ट ने यह खुलासा किया कि भारत में 13 से 15 साल की उम्र के हर चार बच्चों में से एक बच्चा अवसाद से ग्रस्त है और आठ प्रतिशत किशोर चिंता की वजह...
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शिक्षा से सामाजिक सद्भाव-- जगमोहन सिंह राजपूत
यह हर राष्ट्र का पहला कर्तव्य है कि वह अपना भविष्य संवारने के लिए वर्तमान का लगातार वस्तुनिष्ठ विश्लेषण और तदनुरूप तैयारी करता रहे। लोकतंत्र में सर्वमान्य नीतियों का निर्माण बहुधा कठिन हो जाता है। फिर भी जब राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में होती है तो सब मतभेद भुला दिए जाते हैं, उसी प्रकार भविष्य की पीढ़ी को सुचारु रूप से तैयार करने में भी राष्ट्रीय योजनाएं सभी की सहमति...
More »कैसे रुके शिशु मृत्यु दर-- रमेश सर्राफ धमोरा
किसी भी समाज की खुशहाली का अनुमान उसके बच्चों और माताओं को देख कर लगाया जा सकता है। पर जिस समाज में हर साल तीन लाख बच्चे एक दिन भी जिंदा नहीं रह पाते और करीब सवा लाख माताएं हर साल प्रसव के दौरान मर जाती हैं, उस समाज की दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब देश में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की कोई कमी नहीं है, तब ऐसा...
More »स्कूलों में असुरक्षित बच्चे-- अरविन्द कुमार सिंह
यह दिल दहला देने वाला कृत्य है कि जयपुर में एक शिक्षक ने दस साल में तकरीबन दो सौ से अधिक बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाया। शिक्षक पर यह भी आरोप है कि वह पीड़ित बच्चों को ब्लैकमेल कर उनसे पैसा भी वसूलता था। स्कूल प्रबंधन की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। जहां उसकी जिम्मेदारी आरोपी शिक्षक के कृत्यों की जानकारी पुलिस को देना था, उसने...
More »लानत है ऐसे अस्पताल और ऐसी व्यवस्था पर-- अनुज कुमार सिन्हा
इन दाे खबराें आैर एक पत्र काे पढ़िए. पहली खबर : राजधानी रांची में एक पिता अपने बीमार बेटे के इलाज के लिए अस्पताल-अस्पताल घूमता रहा. पैसे नहीं थे. पिता गिड़गिड़ाता रहा. अस्पताल ने इलाज नहीं किया. बेटे की माैत हाे गयी. दूसरी खबर : राजधानी रांची के एक स्कूल के एक छात्र ने पेट्राेल छिड़क कर आग लगा कर जान देने का प्रयास किया, क्याेंकि पढ़ाई के दबाव से वह...
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