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फसल का नहीं खेती का बीमा हो!-- बिभाष

खेती की जब बात आती है, तो सभी आकाश की ओर ताकते हैं. अगर माॅनसून का समय और उसकी मात्रा उचित या पर्याप्त नहीं है, तो राजनीति की गति और दिशा दोनों बदल जाती है. बजट से लेकर बाजार तक सब आकाश ही निहारते हैं. कृषि में जोखिम प्रबंध बहुत ही कमजोर है.  हरित क्रांति का चाहे जिस तरह से विश्लेषण या आलोचना करें, लेकिन उसने हमारी कृषि को तात्कालिक...

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किसानों के खाते से पैसे निकाले तो बैंक अफसरों को बनाएंगे बंधक

फसल बीमा योजना के विरोध में जिलेभर के किसानों ने प्रदर्शन किया। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनके खाते से जबरदस्ती कोई राशि काटी गई तो संबंधित बैंक अफसर को बंधक बना लिया जाएगा। इस मामले को लेकर खफा किसान सोमवार को लघु सचिवालय पहुंचे और डीसी मंदीप सिंह बराड़ को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और इस योजना को तुरंत रद्द करने की मांग की। इस...

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ब्याज व्यवहारिक दर जरूरी

अथक प्रयासों के बावजूद बड़े कारोबारी निजी निवेश करने में रुचि नहीं ले रहे हैं। उधर विदेशी संस्थागत निवेशक भारत में निवेश को लेकर उत्साहित नहीं हैं। ऐसे में वित्तमंत्री ने बैंकों और दूसरी वित्तीय संस्थाओं द्वारा जमा पर दिए जा रहे ज्यादा ब्याज पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि जमा पर अधिक ब्याज देने से कर्ज देने की लागत बढ़ जाती है। गौरतलब है कि ब्याज...

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PM जन धन योजना के खातों के जरिए सफेद हो रहा काला धन!

एक दैनिक मजदूर के खाली पड़े बैंक अकांउट के इस्‍तेमाल 1 करोड़ रुपए तक के धन को ट्रांसफर करने के लिए किया जा रहा था। आयकर अधिकारियों की अचानक इस खाते पर नजर पड़ी तो वे चौंक गए। चिंता की बात यह है कि मामले का पता तब चला जब आयकर अधिकारियों ने पंजाब के मजदूर को नोटिस भेजा, जिसे इस लेन-देन के बारे में कोई खबर ही नहीं है।...

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सार्वजनिक बैंकों को केंद्र से 230 अरब की वित्तीय मदद

नई दिल्ली। बढ़ते एनपीए के बोझ और घटते मुनाफे से परेशान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में केंद्र सरकार ने वायदे के मुताबिक तकरीबन 23 हजार करोड़ रुपये की पूंजी बढ़ा दी है। वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि 13 बैंको को 22,915 करोड़ रुपये की राशि बतौर पुनर्पूंजीकरण दी गई है। इस राशि से बैंकों के लिए विभिन्न वैधानिक मानकों को बनाये रखने में मदद मिलेगी। सबसे ज्यादा...

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