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भारत में सिर्फ नौनिहाल ही नहीं बुजुर्गों को भी प्रभावित कर रहा है कुपोषण

डाउन टू अर्थ, 25 अगस्त भारत में कुपोषण सिर्फ बच्चों को ही नहीं बुजुर्गों को भी प्रभावित कर रहा, जो उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बन सकता है। इस बारे में इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पापुलेशन साइंसेज से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किए नए अध्ययन से पता चला है कि 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के करीब 28 फीसदी पुरुषों और 25 फीसदी महिलाओं का वजन सामान्य से कम है। वहीं इसी आयु...

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राष्ट्रीय विद्युत योजना: अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ने का अनुमान, कोयले पर निर्भरता रहेगी जारी

मोंगाबे हिंदी, 23 अगस्त भारत की राष्ट्रीय विद्युत योजना (एनईपी) के अनुमान के अनुसार, देश साल 2026-27 तक अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का लगभग 55% स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल कर लेगा। यदि यह लक्ष्य पूरा हो जाता है, तो भारत जलवायु शमन के स्वैच्छिक लक्ष्य, नेशनली डिटरमाइंड कॉन्ट्रिब्यूशन (एनडीसी) या राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान को साल 2030 की समय सीमा से पहले हासिल कर लेगा। देश ने अपने संशोधित...

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ग्रीन क्रेडिट से पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन, लेकिन चाहिए मजबूत नियामक तंत्र

मोंगाबे हिंदी, 23 अगस्त केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने टिकाऊ विकास और पर्यावरण संरक्षण को आगे बढ़ाने के लिए “ग्रीन क्रेडिट” स्कीम का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके तहत व्यक्ति, संगठन और उद्योग पर्यावरण के लिए फायदेमंद मानी जाने वाली स्वैच्छिक गतिविधियों के लिए ग्रीन क्रेडिट पा सकते हैं। लेकिन जानकारों ने चेतावनी दी है कि उचित निगरानी या मजबूत नियामक तंत्र के बिना, यह योजना ग्रीनवॉशिंग (पर्यावरण को बचाने से जुड़े...

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जम्मू-कश्मीर में बढ़ते राजमार्ग और सड़क दुर्घटनाओं में जानवरों के मरने की बढ़ती घटनाएं

मोंगाबे हिंदी, 21 अगस्त सितंबर 2011 में, जम्मू यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेन एनवायरनमेंट (आईएमई) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने जम्मू-पुंछ राष्ट्रीय राजमार्ग पर सियार के एक जोड़े को मरा हुआ पाया। वन्यजीव शोधकर्ता नीरज शर्मा आईएमई की उस टीम का हिस्सा थे, जो उस दिन फ़ील्ड सर्वेक्षण के लिए निकली थी। उन्होंने कहा, “अफसोस की बात है कि मादा सियार गर्भवती थी। यह घटना मुझे परेशान करती रही। अगले...

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चावल की उपज पर मंडरा रहा खतरा, अगस्त की बारिश करेगी फैसला

डाउन टू अर्थ, 21 अगस्त  जून और जुलाई में देश के कई हिस्सों में हुई कम वर्षा के चलते चावल उत्पादन पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, उड़ीसा के कटक स्थित राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में कृषि मौसम वैज्ञानिक देबाशीष जेना ने डीटीई को बताया कि"उत्पादन तभी प्रभावित होगा जब मानसून कोर जोन में मानसून खराब होगा, क्योंकि वहां फसल ज्यादातर वर्षा पर आधारित होती है।" भारत में कोर मानसून क्षेत्र पश्चिम...

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