SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 128

आरटीआइ अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक आज पेश होगा

जनसत्ता ब्यूरो, नई दिल्ली। कार्मिक, लोक शिकायत व पेंशन राज्य मंत्री वी नारायणसामी के निचले सदन में यह विधेयक पेश किया जाएगा। राजनीतिक दलों को पारदर्शिता कानून के दायरे से बाहर रखने के लिए सरकार सोमवार को लोकसभा में आरटीआइ अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश करने की तैयारी में है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक अगस्त को राजनीतिक दलों को छूट प्रदान करने के लिए आरटीआइ अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव...

More »

कहां पहुंची यह मूक क्रांति!- कमल नयन चौबे

प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्री क्रिस्टोफ जेफरलॉट ने अपने लेख ‘कास्ट एंड राइज ऑफ माजिर्नलाइज्ड ग्रुप्स' में राजनीतिक रूप से शक्तिशाली रही अभिजन जातियों के वर्चस्व को चुनौती देते हुए मध्यवर्ती जातियों के उभार को सत्ता के हस्तांतरण के तौर पर देखा है और इसे एक मूक क्रांति की संज्ञा दी है.   लेकिन क्या यह मूक क्रांति वास्तव में अपने लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रही है? क्या जाति आधारित राजनीति में साधन यानी...

More »

संसद के जरिए ही मिले खाद्य-सुरक्षा--- भंवर मेघवंशी

सहयोगी दलों के विरोध के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रिमंडल को खाद्य सुरक्षा पर अध्यादेश लाने के अपने विचार को फिलहाल टालना पड़ा है। हालांकि, सरकार के जिम्मेदार लोगों ने संकेत दिए हैं कि अभी सरकार ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। वह समाजवादी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी जैसे सहयोगी दलों और भारतीय जनता पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों से इस मुद्दे पर सहमति बनाने की कोशिश जारी रखेगी। साथ ही यह...

More »

अनाज का भंडार है तो अपने लोगों को क्यों न खिलायें

नयी दिल्ली: ऐसे समय जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के खाद्य सुरक्षा विधेयक को अगले लोकसभा चुनाव में उसके तुरुप के पत्ते के तौर पर माना जा रहा है, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि गरीबों को सस्ता अनाज देने से देश में खुशहाली आयेगी. पवार ने यहां संवाददाताओं से कहा, जब हमारे खाद्यान्न भंडार भरे पडे हैं तो हम क्यों...

More »

आंदोलन से आगे- एन के सिंह

जनसत्ता 29 अक्टुबर, 2012: यह मानना गलत होगा कि अरविंद केजरीवाल ने बिजली के सरकार द्वारा काटे गए कनेक्शन फिर से जोड़ कर जनता को कांग्रेस या भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बरगलाया है। दरअसल, यह हमला उस मर्मस्थल पर है जिसे हम शासन करने की वैधानिकता कहते हैं। यह आघात एक सड़ी हुई व्यवस्था पर है जिस पर से जनता का विश्वास लगभग उठ चुका है। गांधी ने भी यही किया था। सविनय-अवज्ञा...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close