खास बातें- दुनिया में सबसे ज्यादा बड़े बांध बनाने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है। यहां अभी 3600 से ज्यादा बड़े बांधे हैं, जबकि 700 से ज्यादा अभी बनने की प्रक्रिया में हैं। भारत में बांधों की वजह से हुए विस्थापन के बारे में अलग अलग-अलग अनुमान हैं। दास और राव (1989) ने दावा किया कि भारत में बांध परियोजनाओं की वजह से दो करोड़ दस लाख लोग विस्थापित हुए। बड़े...
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वेदांत- हिन्दुत्व और साम्राज्यवादी मंसूबों का विध्वसंक मिश्रण- रोजर मूडी
विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...
More »विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
More »बंजर भूमि पर किसान उपजा रहे सोना
मगध (गया/औरंगाबाद/नवादा/जहानाबाद)। कृषि क्षेत्र में भी राज्य सरकार की पहल अब रंग लाने लगी है। मगध प्रमंडल के कृषकों को बेहतर उत्पादन के गुर सिखाए जा रहे हैं। बदलते परिवेश में विशेषकर मौसम के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए फसलों के उत्पादन एवं इकाई क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किस्मों का चुनाव, समय से बोआई, नराई-गुहाई, तृण-नियंत्रण, निर्धारित समय पर उचित मात्रा में जैविक एवं रासायनिक उर्वरकों का व्यवहार, सिंचाई की उचित व्यवस्था, कीट...
More »डाक सेवक बना रहे हैं राष्ट्रीय सूचकांक
श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ के चुनिंदा गांवों में डाक कर्मचारियों ने अब खेतों और दुकानों से खाद्य और अखाद्य वस्तुओं के भाव एकत्रित करना आरंभ कर दिया है। पिछले तीन माह से क्रम लगातार जारी है। देश के अन्य हिस्सों की तरह यहां से भेजे जाने वाले आंकड़ों से केंद्र सरकार के राष्ट्रीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की गणना की जाती है। केंद्र सरकार ने गांवों-कस्बों में उत्पादों के असल मूल्य जानने और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक तैयार...
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