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हितों के टकराव और नैतिकता-- वरुण गांधी

साल 1990 की बात है. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के प्रमुख सचिव रहे बीजी देशमुख ने प्रधानमंत्री से पूछा था कि क्या वह सेवानिवृत्ति के बाद एक बड़ी निजी कंपनी में नौकरी कर सकते हैं- उन्होंने दशकों सरकारी नौकरी की थी और चाहते थे कि इजाजत मिल जाये, तो अब बाहर निकलकर कॉरपोरेट भूमिका निभाएं. दरअसल, हितों के टकराव के मुद्दे को स्वाभाविक रूप से भ्रष्टाचार से जोड़कर देखा जाना चाहिए....

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ठोस उपायों से ही बदलेगी तस्वीर - डॉ. भरत झुनझुनवाला

केंद्र सरकार का वित्तीय घाटा बढ़ रहा है। सरकार की आय कम हो और खर्च ज्यादा हो तो अंतर को पाटने के लिए सरकार बाजार से ऋण लेती है। इस ऋण को वित्तीय घाटा कहा जाता है। वित्तीय घाटे को अच्छा नहीं माना जाता, ठीक वैसे ही जैसे ऋण लेकर फाइव स्टार होटल में भोजन करने वाले को जिम्मेदार नहीं माना जाता है। विदेशी निवेशक सोचते हैं कि सरकार को...

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आइटी उद्योग के स्याह पहलू-- अभिषेक कुमार

एक वक्त था जब देश में हुई आइटी क्रांति ने रोजगार को पंख लगा दिए थे। एक ऐसे दौर में, जब देश का पढ़ा-लिखा नौजवान कोई मामूली वेतन वाली नौकरी करने या फिर बेरोजगार रहने को मजबूर था, आइटी क्रांति की बदौलत देश-विदेश में उम्दा रोजगार का हकदार बना था और अपनी प्रतिभा का परचम लहराया था। पर अब एक के बाद एक, इस क्षेत्र के लिए बुरी खबरें आ...

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गंगा की अविरलता में निहित स्वच्छता-- उमेश चतुर्वेदी

गंगा को बचाने के लिए आखिरकार भारत सरकार ने उस सदियों पुरानी सोच को ही अंगीकार कर लिया है, जिसकी साधु-संत और आमजन गंगा सफाई अभियान शुरुआत से मांग करते रहे। यानी गंगा की धारा को अविरल बहने दो। गंगा अगर हजारों हजार साल से मुक्ति क्षमता से लैस रही है तो उसकी वजह उसकी अविरल धारा ही रही है। वैज्ञानिकों का भी मानना है कि गंगा की अगर धारा...

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ढाई साल में ढाई गुणा बढ़ गया सरकारी बैंकों का एनपीए, ये कंपनियां हैं बड़ी कर्जदार

नयी दिल्ली : सरकार नए साल में बैंकिंग सुधारों के सिलसिले को जारी रख सकती है. इसके अलावा सरकार का इरादा एनपीए (गैर निष्पादित आस्तियों) के बोझ से दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी निवेश करने का भी है, जिससे ऋण की मांग को बढाया जा सके. फिलहाल ऋण की वृद्धि दर 25 साल के निचले स्तर पर चली गयी है. सरकार ने इस साल अक्तूबर में बैंकों में 2.11...

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