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पूंजी खेल की हकीकत- हरिवंश

चलते-चलते एक लेख में इस पुस्तक की चरचा की थी. आज के माहौल में इसे हर भारतीय को पढ़ना चाहिए. वह सच, जानने के लिए, जो लोगों से छुपाया जाता है. वह पद्धति-प्रक्रिया समझने के लिए, जिसके तहत भारत से पैसे-पूंजी बेधड़क स्विस या विदेशी बैंकों या टैक्स हेवेन (कर चोरी के लिए स्वर्ग या नितांत सुरक्षित) में जा रहे हैं. इसमें कौन लोग हैं? मीडिया का असली चेहरा भी...

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आधी आबादी का सवाल

नई सदी में आर्थिक विकास की सबसे आकर्षक कहानी होने के भारत के रिकॉर्ड पर एक बदनुमा दाग अपने समाज में महिलाओं की हालत है। हर अध्ययन हमारा ध्यान इस चिंताजनक सूरत की तरफ खींचता है और इस कड़ी में सबसे ताजा सर्वे थॉमसन रॉयटर फाउंडेशन का है, जिसमें महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक जगहों की सूची में भारत को चौथे नंबर पर रखा गया है। इस सूची में भारत के...

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सिंगूर की भूमि का अधिग्रहण

कोलकाता : विधानसभा चुनाव के पहले किये गये वादे के अनुरूप मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्ववाली राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी कर सिंगूर के अनिच्छुक किसानों की 400 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया. इस जमीन को स्थानीय विधायकों, नेताओं व स्थानीय किसानों से बातचीत के बाद अनिच्छुक किसानों को लौटाया जायेगा. बाकी 600 एकड़ जमीन पर राज्य सरकार टाटा को क्षतिपूर्ति देने के लिए राजी है. यह क्षतिपूर्ति मध्यस्थता...

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अकाल, भुखमरी इस देश में कई समुदायों की जीवनसाथी है- विनायक सेन से आशीष कुमार अंशु की बातचीत

विनायक सेन को लेकर मीडिया और समाज में दो तरह की छवि है। एक विनायक सेन, जिन्हें हमेशा देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाता है, दूसरे विनायक सेन वे जो आदिवासियों के शुभचिंतक हैं और गरीब समाज के मसीहा हैं। दोनों विचार अतिवादी हैं। इस तरह एक आम भारतीय असमंजस की स्थिति में है कि वह इन दोनों में से किसे सच माने और किसे झूठ! यदि हम मीडिया की नजर...

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मेहनतकश की मजदूरी का सवाल : हर्ष मंदर

‘खेतों और फैक्टरियों में काम करने वाले हर मजदूर और कामगार को कम से कम इतना अधिकार तो है ही कि वह इतनी मजदूरी पाए कि अपना जीवन सुख-सुविधा से बिता सके..।’ वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण दे रहे जवाहरलाल नेहरू ने यह बात कही थी। इसके नौ दशक बाद स्वतंत्र भारत की केंद्र सरकार ने कहा कि लोककार्य के लिए कानून द्वारा स्थापित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान...

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